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74. निरपराधी को पीटना २
नया शिक्षक बिलकुल अलग व्यक्ति था | सुशील भी, जो डींग मारता था, उस शिक्षक की कार्यविधि के विषय में कुछ बोल न सका | उस शिक्षक ने प्रार्थना की और उस के बाद दूसरा झटका आया |
शिक्षक: “यदि हमें मिल जुल कर काम करना है तो हमें स्कूल के लिये नये नियमों का प्रयोजन करना होगा | मैं चाहता हूँ कि तुम ऐसे नियम सुझाव |”
इस से सुशील का दम रुक गया | ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था |
स्कूल की लड़की: “एक दूसरे की नकल न करो |”
शिक्षक: “यह ठीक है | नियम उसी समय लाभ दायक होंगे जब उन का पालन न करने पर कोई दंड दिया जाये |”
सुशील: “जो नकल करेगा उसे तीन बार छड़ी से मारा जाये |”
ओह ! पहले भी विद्यार्थियों को छड़ी से मारा जाता था |
शिक्षक ने यह और दूसरे नियम चॅाक से बोर्ड पर लिख दिये | कुछ सप्ताह तक सब कुछ ठीक चलता रहा | परन्तु एक सुबह शिक्षक क्लास में आये और बहुत दुखी थे |
शिक्षक: “अपनी पुस्तकें बंद रखो | मेरे पास एक बुरा समाचार है | किसी ने स्कूल के नियमों को तोड़ दिया है और सुशील का सैंडविच चुराया है | क्या वह जो अपराधी है, अपना अपराध स्विकार करेगा ?”
हर एक ने अपनी साँस रोक ली | नन्हा तनिश जो पहली पंक्ति में बैठा हुआ था, हकलाया :
तनिश: “मैं ... मैं ने यह किया | मैं था ... मैं इतना भूखा था कि मैं ने वह सैंडविच खा लिया | मुझे खेद है |”
तनिश के माता पिता बहुत गरीब थे और कई बार उन के पास खाने को कुछ न रहता था | कोई भी नहीं चाहता था कि उसे दंड दिया जाये | परन्तु शिक्षक को अविरोधी रहना था |
शिक्षक: “तुम ने नियम बनाये : अपराधी को दंड दिया जाना चाहिये नहीं तो इस के बाद कोई विद्यार्थी नियमों का पालन न करेगा | तनिश, क्लास के सामने आओ | चोरी के लिये दस बार छड़ी लगाई जायेगी |”
शिक्षक ने छड़ी हाथ में ली |
सुशील: “ठहरिये, वह मेरा सैंडविच था | मैं उसे क्षमा करता हूँ |”
शिक्षक: “सुशील, यह तुम्हारी कृपा है परन्तु दंड दिया जाना ही चाहिये !”
सुशील: “तब उस के बदले मुझे मारिये परन्तु तनिश को हानी न पहुंचाइये |”
शिक्षक: “ठीक है ! यह चल जाएगा | नियम के अनुसार दस बार छड़ी लगाना चाहिये, परन्तु उस में यह नहीं कहा गया कि बेत किसे लगाई जाये |”
तब क्लास को अनुभव हुआ कि चोर को मिलने वाला दंड एक निष्पाप व्यक्ति ने कैसे स्विकार किया |
यह सुशील और तनिश की मित्रता की शुरुआत थी |
इस के बाद जब शिक्षक ने उन्हें यीशु के विषय में बताया कि आप ने दुनिया के हर व्यक्ति का दंड अपने ऊपर ले लिया तब हर एक ने उसे ध्यान लगा कर सुना |
शिक्षक: “गुड फ्रायडे हमें याद दिलाता है कि यीशु निष्पाप हैं और यह कि आप को हमारे कारण दंड दिया गया | हम सब ने परमेश्वर की आज्ञाओं का उलंघन किया है | इस कारण, यीशु ने स्वय : अपनी इच्छा से दंड स्विकार किया | जब आप ने क्रूस पर अपने प्राण दिये तब आपने मृत्यु दंड स्वीकार किया | जो कोई आप पर विश्वास करता है वह स्वतंत्र हो जाता है और अनन्त जीवन पाता है | ईस्टर इस बात की गैरंटी है कि यीशु मृतकों में से जी उठे और जीवित हैं |”
लोग: वर्णनकर्ता, शिक्षक, स्कूल की लड़की, सुशील, तनिश
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