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124. सब से अच्छा सलाह कार १
राजकिय शुभागमन की तय्यारियाँ तेजी से की जा रही थीं | (संगीत की आवाज) झंडे लहराये गये और स्वादिष्ट भोजन परोसा गया | यहोशापात राजा का दक्षिण के ईस्राएल से आने पर अभूतपूर्वक स्वागत किया गया | क्या उसे महसूस हुआ था कि इस नेवता के पीछे कोई बुरा उद्देश छिपा हुआ था ? अहाब राजा ने सरल मतलब की बात की |
अहाब: “यहोशापात राजा, अब रामोत पर मेरा अधिकार न रहा | इस कारण मैं परेशान हूँ | यह नगर वापस जीत लेने के लिये क्या तुम मेरी सहायता करोगे ?”
यहोशापात: “अवश्य | तुम मेरी सेना पर निर्भर रह सकते हो | परन्तु क्या हम सब से पहले परमेश्वर से परामर्श न करें ? मैं केवल वही करना चाहता हूँ जो वह चाहता है |”
परमेश्वर के साथ निर्णय लेना हमेशा अच्छा होता है | यहोशापात राजा का अपने लिये उदाहरण लो | मुझे विश्वास है कि यह उस के यशस्वी जीवन का रहस्य था | हर व्यक्ति यहोशापात से प्रेम करता था | उस के पास लाखों की संख्या में सैनिक थे | उस का कोई भी शत्रुउस से युद्ध करने का साहस नहीं करता था | उसे कई जगहों से उपहार आते थे |
परमेश्वर यहोशापात का सलाहकार था | वह हर निर्णय के लिये परमेश्वर से परामर्श करता था परन्तु अहाब राजा बिल्कुल अलग था | उसे यह सुझाव बिल्कुल पसन्द नहीं आया |
यदि तुम किसी को परमेश्वर से परामर्श करने को कहो तो तुम्हारे साथ भी ऐसा ही हो सकता है | बहतर यह है कि अहाब राजा जैसे लोगों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना |
अहाब: “क्या हमें ऐसा करना चाहिये ? ठीक है, सेवक, भविष्यवक्ताओं को बुलाओ !” (क़दमों की आहाट की आवाज)
अहाब: “हम रामोत नगर पर चढ़ाई करें या नहीं ?”
भविष्यवक्ता: “चढ़ाई करो ! तुम निश्चय ही जीत जाओगे |”
अहाब राजा सन्तुष्ट था परन्तु यहोशापात राजा न था | वह परमेश्वर की आवाज पहचानता था परन्तु यह वह न थी | यह ४०० भविष्यवक्ता झूटे थे - ऐसे झूटे जिन्हों ने अहाब को वही बताया जिसे वह सुनना चाहता था कयोंकि ऐसा करने के कारण उन्हें पुरस्कृत किया जाता था |
यहोशापात: “क्या कोई और भविष्यवक्ता नहीं है जिस से हम पूछ सकें ?”
अहाब: “एक और है परन्तु मैं उस से घ्रणा करता हूँ | वह हमेशा आपदा की भविष्यवाणी करता है |”
यहोशापात: “उसे यहाँ ले आओ |”
मीकायाह आ गया | वह परमेश्वर का सत्य संदेश वाहक था जो कभी कभी मजाक करना पसन्द करता था |
अहाब: “मीकायाह, क्या हम रामोत नगर पर चढ़ाई करें ?”
मीकायाह: “अवश्य | तुम शत्रु को पराजीत करोगे |”
अहाब: (परेशान हो कर) “तुम्हें सच बताना है | परमेश्वर ने तुम्हें क्या बताया है ?”
क्या वह वास्तव में परमेश्वर का परामर्श सुनना चाहता था ? हो सकता था कि वह उसे सुनता परन्तु उस के अनुसार करता नहीं |
मीकायाह गंभीर हुआ |
मीकायाह: “परमेश्वर ने मुझे बताया कि तुम्हारे फौजी जल्दी ही बिना चरवाहे की भेड़ों के समान हो जायेंगे | अहाब राजा, तुम्हारी सेना तुम्हारे बिना घर लौटेगी |”
अहाब: (क्रोध मे) “क्या तुम सब ने यह सुना ? उस ने मुझे मेरा मृत्यु दंड सुनाया | उसे कारागृह में फ़ेंक दो ! तुरन्त !”
अगले ड्रामे में तुम सुनोगे कि क्या हुआ | क्या तुम सुनते रहोगे ?
लोग: वर्णनकर्ता, यहोशापात, अहाब, मीकायाह, भविष्यवक्ता
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