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123. फरारी व्यक्ति
वह एक छोटे मार्ग पर भागता रहा, पत्थरों से टकरा कर डगमगाया और काँटों की झाड़ियों से उस के पॉंव पर खरोंचे आगये |
उनेसिमुस (हाँपते हुए): “मुझे यहाँ से बच निकलना चाहिये | मैं बेजार आगया | मुझे हर रोज काम करने की इच्छा नहीं है | मैं एक नया जीवन शुरू करने जा रहा हूँ | यहाँ से बहुत, बहुत दूर | परन्तु मुझे सावधान रहना होगा कि कहीं पकड़ा न जाऊँ |”
फरार होने वाले दासों को भयानक दंड दिया जाता था | या तो उन के शरीर पर कहीं भी तपते हुए लोहे से चिन्ह लगाया जाता था या उन्हें जंगली जानवरों का भोजन बनाया जाता | यही एक विचार उनेसिमुस को और भी जल्दी भाग जाने पर मजबूर कर रहा था |
उस के नाम का अर्थ “उपयोगी” होता है | क्या यह नाम किसी ऐसे व्यक्ति के योग्य हो सकता है जिस ने चोरी की हो और फिर भाग रहा हो ? उस ने किसी दूसरे देश में नया जीवन शुरू करने का विचार किया था | वह रोम नगर मे छिपे रहने का प्रयत्न कर रहा था | परन्तु इस बडे देश में जाने का कौन विचार कर सकता था | परन्तु किस ने यह सोचा होता कि इतने बडे नगर में, इतने लोगों में से उनेसिमुस एक ऐसे व्यक्ति से मिलेगा - जो उस के स्वामी का मित्र था ?
पौलुस: “ठीक है, ठीक है, तो तुम भाग कर आये हो ?”
उनेसिमुस: “मैं जीवन में कुछ करना चाहता हूँ और केवल दास बन कर रहना नहीं चाहता |”
पौलुस: “और ? क्या अब तुम अपने नये जीवन से सन्तुष्ट हो ?”
उनेसिमुस: “सच तो यह है कि मेरी कल्पना के अनुसार यह जीवन बहुत अलग होगा | अच्छा होता जो मैं भाग कर नहीं आया होता | और फिर पैसों की भी समस्या थी ... मेरा अंदाजा है कि मैं इतनी बुरी स्थिती में नहीं था |”
पौलुस: “उनेसिमुस, तुम ने गलत जगह पर नये जीवन का आरंभ किया |”
वहाँ रोम में उनेसिमुस समझ गया कि नया जीवन केवल यीशु में ही पाया जा सकता है कयोंकि आप हमारे पाप क्षमा करते हैं और हमारा नवीकरण करते हैं | क्या तुम भी चाहते हो कि नये सिरे से जीवन शुरू करो ? यीशु तुम्हें नया जीवन देंगे | आप उसे हर उस व्यक्ति को देते हैं जो अपने पापों को स्विकार करता है और आप पर विश्वास करता है |
उनेसिमुस ने यह नया जीवन पाया परन्तु अगला कदम क्या था ?
पौलुस: “सब से अच्छा यह है कि अपने स्वामी, फिलेमोन, के पास वापस चले जाओ |”
उनेसिमुस: “वहाँ वापस चला जाऊं ?”
पौलुस: “चिन्ता न करो | मैं तुम्हारे विषय में एक पत्र लिखुंगा वह उसे दे देना | वह मेरा मित्र है | वह यीशु से प्रेम रखता है और तुम्हें इच्छापूर्वक वापस लेगा |”
और विश्वासपूर्वक उनेसिमुस वापस चला गया |
फिलेमोन: “तुम फिर यहाँ आ गये | हम ने तुम्हें हर जगह ढूंडा |”
उनेसिमुस: “मैं ने यह पत्र आप के लिये लाया है |”
फिलेमोन: “प्रिय फिलेमोन, मैं उनेसिमुस को वापास भेज रहा हूँ | उस ने यीशु के साथ नया जीवन शुरू किया है | यदि उस ने किसी तरह से भी तुम्हें कष्ट दिया हो तो मैं उस की कीमत चुका दुँगा और सब मामला ठीक कर दुंगा |”
उनेसिमुस का प्रेम पूर्वक स्वागत किया गया और वह खुशी से फिलेमोन के साथ रहा | यीशु के द्वारा उसे पुरानी जगह पर नया जीवन मिला |
लोग: वर्णनकर्ता, उनेसिमुस, पौलुस, फिलेमोन
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