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च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

121. बर्फ में मार्ग ५


अनेते ने एक पुस्तक पढ़ा | परन्तु वह इस कार्य में पूरी तरह से ध्यान न दे सकी |

अनेते: “दादी, मैं सोने जा रही हूँ, गुड नाईट |”

परन्तु वह अपने कमरे में नहीं गई; बल्कि वह बाहर जा कर गहरे बर्फ में से चलती हुई गई | जब वह अपने घर से बहुत दूर निकल गई तब वह फिसल गई और उस के पाँव में ऐसी मोच आ गई कि वह आगे चल न सकी |

अनेते (रोते हुये): “अब मैं क्या करूं ? जब तक कि कोई मुझे ढूँड निकाले, मैं बर्फ के समान जम जाऊँगी |”

वह बर्फ में बैठ कर रोई | आस्मान पर तारे चमक रहे थे | अनेते ने उपर देखा | क्या परमेश्वर उसे इस संकट में से निकल लेगा, यदपि वह लूकस से इतना नीच व्यवहार करती रही थी ? तब उस ने स्की के फिसलने की आवाज सुनी |

अनेते: “सहायता करो ! सहायता करो ! लूकस, क्या तुम हो ? कृपया मेरी सहायता करो | मेरे पाँव में मोच आई है |”

लूकस: “मैं बर्फ गाडी लेकर आता हूँ | यह मेरा जॉकेट लो, मेरे वापस आने तक इसे पहनी रहो |”

जब वह फिर से अकेली रह गई तब उस ने अपने पूरे दिल से प्रार्थना की |

अनेते: “प्रिय प्रभु यीशु, मैं पापी हूँ और मुझे आप की आव्यशकता है | कृपया मेरे सब पाप क्षमा कीजिये | मैं आप की सन्तान बनना चाहती हूँ - परन्तु इस कारण नहीं कि इस समय मैं संकट में फसी हूँ | आमेन |”

लूकस बर्फ गाडी और कम्बल ले कर आया |

अनेते: “लूकस, मुझे तुम से कुछ कहना है | मैं ने ही तुम्हारे छोटे टट्टू का नाश किया था | यीशु ने मुझे क्षमा किया है | तुम भी मुझे क्षमा करो | अब मैं तुम से घ्रणा नहीं करती |”

लूकस: “मैं ने भी सोचा था कि यह तुम ने ही किया होगा | मुझे यह बताने के लिये धन्यवाद | मैं ने तुम्हें क्षमा कर दिया |”

अनेते सुरक्षित घर पहुंची और पड़ोस में लूकस ने प्रार्थना की |

लूकस: “प्रभु यीशु, मुझे बतलाइये कि मैं अनेते को कैसे सिद्ध करूं कि डैनी के अपघात के लिये मुझे खेद है |”

तब उसे नगर में के डॉक्टर की याद आई | क्या वह डैनी के पाँव को फिर से चंगा कर सकता है ? रात के बीच में और बर्फीले तूफान के अन्दर लूकस ने नीचे नगर में बर्फ पर फिसलते हुए जाने का खतरा मोल लिया | थका हुआ परन्तु वह सुरक्षित पहुँचा, यदपि ऐसा करना खतरनाक काम था | परन्तु उस का काम अच्छा था | डॉक्टर सहायता करना चाहता था | डैनी को लम्बे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा परन्तु जब वह घर लौटा तब बहुत ही आनन्दित हुआ | वह फिर से चल सका ! लूकस को फिर से आने का नेवता दिया गया | जब उस ने डैनी को बिना बैसाखी के सहारा लिये चलते हुये देखा तब उस का चहरा चमकने लगा |

डॉक्टर: “डैनी, तुम्हें लूकस को धन्यवाद कहना चाहिये | वह अपने प्राण खतरे में डाल कर मुझे मिलने आया था |”

लूकस: “यह मैं ने अकेले नहीं किया | यीशु ने मुझे कल्पना दी और आप ही ने उसे यशस्वी करने में मेरी सहायता की |”

और पहाड़ों पर के उस के पुराने मित्रों ने अपनी जेब से हर वस्तु की कीमत चुका दी | परन्तु यह लूकस का रहस्य बना रहा |


लोग: वर्णनकर्ता, अनेते, लूकस, डॉक्टर

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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