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102. खुले में रखा है २
यह परमेश्वर का आश्चर्यकर्म था जो वह बालक अब तक जीवित था | फ़िरौन ने आदेश दिया था कि ईस्राएली छोटे लड़कों को नील नदी में फ़ेंक दिया जाये | परन्तु जब उस की बेटी ने, जो राजकुमारी थी, एक बालक को टोकरी में रखा हुआ नील नदी में पाया तब उसे उस बालक के लिये
दुख : हुआ | राजकुमारी ने उस बालक को उस की माँ को दिया ताकि वह कुछ सालों तक उस की देख भाल करे |
मूसा (बालक की अवस्था में): “माँ, मैं और अधिक समय तक तुम्हारे पास क्यों नहीं रह सकता ? क्या तुम मेरे साथ आ रही हो ?”
माँ: “मेरे प्रिय, मैं नहीं आ सकती | परन्तु मैं हर समय तुम्हारे विषय में सोचती रहूंगी |”
मूसा (बालक की अवस्था में): “मैं तो तुम्हारे ही साथ रहुंगा |”
परन्तु उन्हें एक दूसरे को अलविदा कहना पड़ा |
राजकुमारी ने उस नवजवान लड़के को गोद लिया और उस का नाम मूसा रखा |
मूसा सब से अच्छे स्कूलों में गया और मेहनत करके अभ्यास करता रहा | उसे विशेष अधिकार प्राप्त थे | मूसा, धनी मनुष्य बन गया |
परन्तु अपने दिल में वह कभी न भूला कि वह परमेश्वर के लोगों में से है | उन लोगों में से जो ३०० साल से अधिक समय से मिस्र देश में दासता में थे |
मूसा: “मैं राजा का पुत्र हूँ | मेरे पास सब कुछ है जिस की मुझे आव्यशकता है | मैं बहुत धनी हूँ | परन्तु यह सब मेरे लिये किस लाभ का है ? मुझे अपने दिल मे यह महसूस होता है कि मैं अपने लोगों की सहायता करूं |”
मूसा ने स्वेच्छा से सब कुछ परमेश्वर के लिये छोड़ दिया | वह आदर के बदले घ्रणा और राजकुमार होने के बदले दासता पसंद करता था |
इसी कारण उस ने राज महल छोड़ दिया | कुछ समय के बाद उस ने एक ईस्राएली को देखा जिसे एक मिस्री व्यक्ति मार रहा था | मूसा ने चारों ओर देखा और जब उसे कोई नजर न आया जो उसे देख रहा हो तब उस ने उस मिस्री व्यक्ति को मार डाला | और उस के शव को रेगिस्तान की रेत में गाड़ दिया | परमेश्वर मूसा को अपने लोगों को दासता से मुक्त करने के लिये इस्तेमाल करना चाहता था परन्तु इस तरह से नहीं |
लोगों को इस घटना का पता चला और फ़िरौन को भी पता चला इस लिये वह मूसा को मार डालना चाहता था | इस कारण मूसा परदेश भाग गया | क्या अब बहुत देर हो चुकी थी ? क्या परमेश्वर मूसा के जैसे एक हत्यारे को इस्तेमाल कर सकता था ?
(भेड़ों के मिमियाने की आवाज) चालीस साल के लम्बे समय तक मूसा किसी और व्यक्ति की भेड़ें चराता रहा | जब वह भेड़ों को घास के खेतों तक हांकता हुआ ले जाता था तब उस के पास सोचने के लिये बहुत समय हुआ करता था |
न उस ने परमेश्वर को भुलाया और न परमेश्वर ने ही उसे भुलाया |
अचानक मूसा स्थिर अवस्था में खड़ा हो गया |
मूसा: “यह असंभव है | केवल असंभव ! जलती हुई झाड़ी, जिस में आग लगी है परन्तु आश्चर्य की बात है - क्योंकी वह झाड़ी भस्म नहीं हो रही
थी |”
जलती हुई झाड़ी का रहस्य अगले ड्रामे में बताया जायेगा |
लोग: वर्णनकर्ता, मूसा (बालक के रूप में), माँ, मूसा
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