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86. प्रार्थना करने की अनुमति नहीं ४
राजा के राज्यपाल दानिय्येल का काम तमाम करना चाहते थे |
पहला राज्यपाल: “क्या तुम ने आज कल की गप शप सुनी है ?”
दूसरा राज्यपाल: “अवश्य ! दानिय्येल पूरे राज्य में दूसरा सब से शक्तिशाली मनुष्य होगा | उसे गिराने के लिये हमें कोई कारण ढ़ूँड़ना होगा |”
पहला राज्यपाल: “ऐसा करना इतना आसान न होगा |”
दूसरा राज्यपाल: “उस के धर्म से संबन्धित कोई कारण कैसा होगा ? वह अपने परमेश्वर की दिन में तीन बार आराधन करता है | हम उस के विरुद्ध कोई नया कानून बनायेंगे और उसे राजा के पास ले आयेंगे और ...”
किस लिये ? दानिय्येल ने इन लोगों के लिये कुछ नहीं किया | परन्तु परमेश्वर ने उसे इस देश में सब से ऊँचे स्थान पर पहुँचा दिया | और इस कारण वे क्रोधित और ईर्षालु हो गये |
पहला राज्यपाल: “अब जल्दी से राजा के पास जाओ | उन्हों ने अब तक नये कानून पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं |”
दूसरा राज्यपाल: “दारा राजा, सब राजकुमारों ने सोचा है कि आप, ऐ राजा, एक नये कानून पर हस्ताक्षर करें जिस के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अगले तीस दिनों में आप के सिवा किसी मनुष्य या परमेश्वर से प्रार्थना करे तो उसे शेरों की मांद में डाल दिया जाये | इस कानून को सब लोगों पर लागू किया जाये और कोई उसे बदलने न पाये |”
राजा ने उन की दुष्ट योजना को देखा तक नहीं और उस नये कानून पर हस्ताक्षर कर दिये | परन्तु दानिय्येल के जीवन में परमेश्वर का हमेशा प्रथम स्थान रहा/था, इस लिये उस के जीवन में इस कानून से कोई परिवर्तन/बदलाव नहीं आया ! वह प्रार्थना करता रहा और उस के शत्रू उसे ऐसा करते हुए देखते रहे |
पहला राज्यपाल: “दारा राजा, आप ने अभी अभी एक नये कानून पर हस्ताक्षर किये जिस के अनुसार किसी मनुष्य की ओर से परमेश्वर से कोई प्रार्थना नहीं की जा सकती |”
राजा: “हाँ, यह सच है |”
दूसरा राज्यपाल: “दानिय्येल अब भी अपने परमेश्वर से दिन में तीन बार प्रार्थना करता है | हम ने उसे ऐसा करते हुए देखा है | इस के नतीजे में उसे शेरों का भोजन बन जाना चाहिये |”
राजा: “दानिय्येल ?”
राजा दानिय्येल से प्रेम करता था और उसे बचाना चाहता था | परन्तु कानून आखिर कानून होता है |
राजा: “दानिय्येल, तेरा परमेश्वर तेरी सहायता करे |”
और तब उन्हों ने दानिय्येल को शेरों की मांद में फ़ेंक दिया |
राजा उस रात को सो न पाया | दूसरे दिन सवेरे वह जल्दी से शेरों की मांद की ओर गया |
राजा: “दानिय्येल, क्या तेरे परमेश्वर ने तेरी रक्षा की ?”
दानिय्येल: “ऐ राजा, आप सदा जीवित रहें | मेरे परमेश्वर ने एक स्वर्गदूत भेजा जिस ने शेरों का मुँह बंद कर दिया इस लिये वे मुझे कोई हानी पहुँचा न सके |”
राजा यह सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ कि दानिय्येल अब तक जीवित है और उसे मांद में से निकालने की आज्ञा दी | दानिय्येल के शरीर पर न कोई खरोंचा था और न कोई चोट | यह परमेश्वर की ओर से एक आश्चर्यकर्म था |
दानिय्येल का अभिनन्दन किया गया परन्तु उस के शत्रुओं को शेरों की मांद में फेंका गया |
राजा: “मेरे पूरे राज्य में सब लोग दानिय्येल के परमेश्वर का आदर करेंगे | वह जीवित परमेश्वर है जो बचाता और सहायता करता है |”
दानिय्येल के विश्वास के महान परिणाम निकले |
जीवित परमेश्वर पर विश्वास और भरोसा रखने के कारण वह तुन्हें भी ईनाम देगा |
लोग: वर्णनकर्ता, दो राज्यपाल, राजा, दानिय्येल
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