Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 070 (It’s worth it )
70. यह इस योग्य है
पतरस: “कितना समय व्यर्थ गया | सारी रात हम मछली पकड़ने के लिये कष्ट उठाते रहे और एक भी मछली नहीं पकड़ सके |”
निराश हो कर वे थके हुए मछेरे अपनी नाव को किनारे पर ले आये | असफल रात उन के पीछे थी | और अब भी उन्हें अपने जालों की मरम्मत करनी थी और उन्हें साफ करना था |
अचानक लोग गलील की झील पर इकठ्ठे हो गये | यीशु यहाँ हैं ! वे आप का प्रवचन सुनना चाहते थे; जो हमेशा अच्छा होता था | आप का वचन हर व्यक्ति को साहस और नई शक्ति देता था | इस लिये कई लोग वहाँ धक्का मुक्की कर रहे थे | यीशु के लिये वहाँ कोई स्थान ही नहीं था |
यीशु: “पतरस, मुझे तुम्हारी नाव में आने दो, और तुम उसे किनारे से थोड़ी दूर पानी में धकेल दो |”
अब हर व्यक्ति आप को सुन सकता था और अच्छी तरह से देख भी सकता था | जब आप ने अपना प्रवचन संपन्न किया तब पतरस की ओर
देखा |
यीशु: “पतरस, हमें समुद्र में ले चलो | अपने जाल साथ में ले लो | हम मछली पकड़ने जा रहे हैं !”
मुझे उस समय पतरस का चहरा देख कर आनंद हुआ होता | अब हम मछली पकड़ने जा रहे हैं ? दिन के समय मछलियाँ गर्मी के कारण नीचे चली जाती हैं और झील के तल पर तैरती रहती हैं | एक भी मछली जाल में नहीं फंसती | पतरस जानता था कि यीशु क्या कह रहे हैं | इस लिये भी कि मछली पकड़ना उस का पेशा था |
पतरस: “स्वामी, हम रात भर मछली पकड़ने का कष्ट उठाते रहे परन्तु एक भी मछली न पकड़ सके |”
हम यीशु को आपनी असफलतायें बता सकते हैं |
पतरस: “परन्तु आप ने कहा की जाल डालो इस लिये मैं जाल फेकुंगा |”
पतरस ने कितना अच्छा काम किया | वह अपने आप को पूरा जानकार नहीं समझता | उस ने यीशु की बात मानी और सफल हो गया | वह दूसरे मछेरों के साथ आपनी नाव समुद्र में और आगे ले गया और जाल डाल दिये | एक आश्चर्यकर्म हुआ ! उन्हों ने इतनी मछलियाँ पकडीं कि जाल फटने लगे |
पतरस: “यूहन्ना, याकूब, हमारी सहायता करो ! हम अकेले यह नहीं कर सकते |”
उन्हों ने अपने मित्रों को इशारा किया और दो नाव मछलियों से भर दीं | मछलियाँ इतनी अधिक थीं कि नाव डूबने को थीं |
पतरस यीशु से बहुत प्राभावित हुआ | उस ने देखा कि आप उस से कितने अलग हैं |
पतरस: “प्रभु, मुझ से दूर हो जाईये क्योंकि मैं पापी हूँ |”
कितना अच्छा हुआ जो यीशु पतरस को छोड़ कर नहीं गये, बल्कि उसे क्षमा किया | जब हम अपने पाप आप के सामने स्विकार करेंगे तब आप तुम्हारे और मेरे लिये भी ऐसा ही करेंगे |
यीशु: “पतरस, डरो नहीं | आज से तुम मनुष्यों के मछेरे बनोगे |
एक नया काम | पतरस अब यीशु के लिये मनुष्यों के मछेरे बनेंगे | मैं सोचता हूँ कि यह बहुत बड़ी बात हुई जो यीशु केवल बडे धोकेबाजों को नहीं बुलाते बल्कि तुम्हारे और मेरे जैसे साधारण व्यक्तियों को बुलाते हैं, पतरस के समान लोग, वे लोग जो आप का वचन सुनते हैं और तब उन्हें यह अनुभव हो जाता है कि आप के साथ जीना लाभ दायक होता है |
लोग: वर्णनकर्ता, पतरस, यीशु
© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी