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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 050 (Caution danger of an avalanche)

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

50. ध्यान दीजिये, अवलांच का खतरा है


स्विज़रलैंड के पहाड़ों में एक लड़का आपनी भेड़ें पालता था | उसे फूल और चमकदार हिमनद में बहते हुए बर्फ के टुकड़े बहुत प्रिय थे | एक धुमक्कड़ पहाड़ की छोटी पगडंडी से होता हुआ वहाँ पहुँचा |

धुमक्कड़: “स्वागत, तुम्हारा नाम क्या है ?”

हरीश: “स्वागत, मैं हरीश हूँ |”

धुमक्कड़: “क्या तुम यहाँ अकेले हो ?”

हरीश: “जी हाँ, मैं छुट्टियों में यहाँ अपने पिता की भेड़ें पालता हूँ |”

धुमक्कड़: “तब तो तुम चरवाहे हो | क्या तुम अच्छे चरवाहे को जानते हो ?”

हरीश: “नहीं, वह कौन है ?”

धुमक्कड़: “प्रभु यीशु | पवित्र शास्त्र में कहा गया है कि लोग आज्ञा न पालने वाली भेड़ें हैं जो खुशी से अपने मार्ग पर चलती रहती हैं | अच्छा चरवाहा हमें ढ़ूँडता रहता है | वह हमारा मार्गदर्शन और हमारी चिंता करना चाहता है और एक दिन हमें स्वर्ग में ले जाना चाहता है |”

हरीश: “क्या मेरे मरने के बाद आप मुझे वहाँ ले जायेंगे ?”

धुमक्कड़: “हाँ, तुम्हें केवल आप से बिन्ती करनी होगी कि आप तुम्हारे चरवाहे बन जायें |”

हरीश: “मैं ऐसा इसी समय करना चाहूँगा |”

हरीश ने छोटी सी प्रार्थना की जो उस के दिल से निकली थी | वह यीशु का होना चाहता था “धुमक्कड़ ने आगे जाने से पहले, हरीश से कहा :

धुमक्कड़: “अब तुम हमेशा के लिये अच्छे चरवाहे के हो गये हो | तुम यह कह सकते हो : प्रभु मेरे चरवाहे हैं | देखो, तुम अपनी उँगलियों का प्रयोग पवित्र शास्त्र का यह वचन कहने के लिये कर सकते हो |”

हरीश ने वह वचन दोहराया और हर शब्द के लिये अपनी एक उंगली बायें हाथ पर रखी | उस ने चौथी उंगली विशेषत: मजबूती से पकड़ी और
कहा :

हरीश: “प्रभु मेरे चरवाहे हैं |”

उस ने खुश हो कर यह बात चीत अपने माता पिता को बताई | उस की छुट्टियाँ समाप्त हो गईं और हरीश को फिर से स्कूल जाना पड़ा |

सर्दी का मौसम आ गया और स्विज़रलैंड के पहाड़ों पर सर्दी का मौसम खतरनाक भी हो सकता है | कभी कभी बर्फ की चट्टानों के गिरने का खतरा भी होता है |

हरीश बर्फ के ऊँचे ढेर में से गुजर रहा था | अचानक उसे गरजने की आवाज आई | वह भागना चाहता था परन्तु बहुत देर हो चुकी थी | बर्फ की चट्टानों ने उसे दबा लिया और बर्फ के भारी बोझ के नीचे उसे गाड़ दिया |

जब अंधेरा छा गया, तब उस के माता पिता को चिंता हुई | वह घंटों तक उसे ढ़ूँड़ते रहे | अंत में जब उन्हों ने उसे पाया तब उन्हों ने देखा कि वह अपने बायें हाथ की चौथी उंगली को मजबूती से पकडे हुए था | मरते समय, हरीश ने अपने अच्छे चरवाहे को याद किया |

उस के माता पिता बहुत दु : खी हुए | परन्तु उन्हें यह जान कर शांति हुई कि एक दिन वे हरीश को स्वर्ग में फिर से देखेंगे | उस दिन, जब वे स्वय: हमेशा के लिये अच्छे चरवाहे के साथ होंगे |

क्या तुम भी ऐसा कह सकोगे : प्रभु मेरे अच्छे चरवाहे हैं ?


लोग: वर्णनकर्ता, धुमक्कड़, हरीश

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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