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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
128. अब और प्यास नहीं हैनगर के बहुत से लोग नियमित रूप से उस के साथ किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते थे | सामरी स्त्री: “वे अपनी उंगली मेरी ओर उठाते हैं | मानो उन के जीवन में सब कुछ ठीक है | मैं आशा करती हूँ कि जब मैं कूएँ पर पानी लेने जाऊं तब वहाँ किसी से न मिलूँ |” (पत्थर के मार्ग पर चलने की आवाज) दोपहर के १२ बजे उस स्त्री ने अपना पानी का घडा लिया और नगर से चली गई | दिन के इस समय जब धूप बहुत तेज होती है, उसे मार्ग पर शायद ही कोई मिला हो | सूखार नगर के लोग सामान्यता या तो सवेरे या शाम को कुएँ पर जाते थे | सामरी स्त्री: “ओह प्रिय, कूएँ पर न जाने कौन बैठा हुआ है ?” यीशु: “मुझे पीने को कुछ दो |” सामरी स्त्री: “आप मुझ से बात क्यों कर रहे हो ? आप यहूदी हैं और मैं एक सामरी स्त्री हूँ |” क्या अपरिचित लोग नहीं जानते कि यहूदी, सामरियों से किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखते कयोंकि उन्हों ने परदेसियों से विवाह किया और मूर्तियों को पूजा ? यधपि आप यह जानते थे | परन्तु आप उन लोगों से दूर न रहते थे जिन्हें समाज ने त्याग दिया था | आप ऐसा नहीं करते | यीशु दूसरों से अलग व्यक्ति हैं | यीशु: “यदि तू जानती कि मैं कौन हूँ तो तू मुझ से मॉंगती और मैं तुझे जीवन का पानी देता |” सामरी स्त्री: “आप पानी कैसे निकाल सकोगे ? कुआँ गहरा है |” यीशु: “जो कोई यह पानी पियेगा वह फिर प्यासा होगा | परन्तु जो पानी मैं दूँगा वह अनन्त काल तक तुम्हारी प्यास मिटायेगा |” हमारे दिल की इच्छायें प्यासा होने के समान होती हैं | एक बार वह पूरी हो गईं कि नई इच्छायें प्रगट हो जाती हैं और यह सिलसिला जारी रहता सामरी स्त्री: “मुझे यह पानी दीजिये, ताकि मुझे फिर कभी कुएँ पर न आना पड़े |” यीशु: “जा, अपने पती को ले कर आ |” सामरी स्त्री: “मेरा विवाह नहीं हुआ है |” यीशु: “मैं जानता हूँ | तेरे पाँच पती हो चुके हैं और जिस पुरुष के साथ तू अब रहती है वह पुरुष भी तेरा पती नहीं है |” यीशु इस स्त्री के विषय में सब कुछ जानते थे | और फिर भी आप ने उस से मुँह न मोड़ा | सामरी स्त्री: “परमेश्वर ने आप को भेजा | मैं जानती हूँ कि उद्धार कर्ता आने वाला है |” यीशु: “मैं वही हूँ |” यीशु ने उस के पाप क्षमा किये और उसे नया संतुष्ट जीवन दिया | बहुत ही प्रसन्न हो कर वह स्त्री अपना पानी का घड़ा छोड कर दौड़ती हुई नगर को वापस लौटी | उस ने सब लोगों को यीशु के पास आने का नेवता दिया | और मैं तुम को नेवता देता हूँ कि यीशु के पास आओ | तब तुम भी वही कहोगे जो सूखार नगर के लोगों ने कहा था : बालक: “अब मैं यीशु पर विश्वास करता हूँ | परन्तु इस लिये नहीं कि तुम ने कहा, बल्कि इस लिये कि मैं स्वयं : आप को जान गया हूँ | आप सच में दुनिया के उद्धार कर्ता हैं |” लोग: वर्णनकर्ता, सामरी स्त्री, यीशु, बालक © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |