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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 127 (Too late)

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

127. बहुत देर हुई


अंत में वह किनारे पर पहुँचे और नाव में से उतर गये | याईर को यीशु की अत्यन्त आव्यशकता थी | वह भीड़ में से होते हुए जा कर यीशु के चरनों में गिर गया |

याईर: “मेरी बेटी मरने को है | तुरन्त आईये | कृपया उस पर अपने हाथ रख दीजिये ताकि वह चंगी हो जाये |”

यीशु उस के साथ चले गये | उन्हें जल्दी से पहुँचना था | परन्तु यीशु अचानक रुक क्यों गये ?

यीशु: “मुझे किस ने छुआ ?”

आदमी: “मैं ने नहीं छुआ | हर व्यक्ति धकेल रहा है और आप पर गिर पड़ रहा है |”

यीशु ने पीछे मुड कर देखा कि एक स्त्री आप के पीछे कॉंपती हुई खड़ी थी |

स्त्री: “मैं केवल आप के वस्त्र का किनारा छूना चाहती थी | मैं १२ साल से बीमार हूँ | किसी डॉक्टर या दवा ने मेरी सहायता नहीं की | मैं ने अपना सारा धन खर्च किया ताकि मैं चंगी हो जाऊँ | परन्तु जब मैं ने आप की पोशाक को छुआ तब तुरन्त चंगी हो गई |”

यीशु: “तेरे विश्वास ने तुझे चंगा किया | डरो नहीं !”

विश्वास सहायता करता है ! यदि तुम यीशु पर विश्वास करोगे तो निराश न होगे | या तुम सोचते हो कि ऐसा कभी कभी हो सकता है ?

संदेश वाहक: “याईर कहाँ है ? याईर, मैं तुम्हारे लिये बुरा समाचार लाया हूँ | तुम्हारी बेटी मर गई है |”

वह केवल १२ साल की थी | याईर का विश्वास, मोम बत्ती की ज्वाला की तरह, जो हवा से बूझ जाती है, वैसे ही नष्ट होने कि खतरनाक स्थिति में था |

यीशु: “डरो नहीं, केवल मुझ पर विश्वास रखो !”

यीशु के इन शब्दों ने उस के विश्वास की ज्योति को एक बार फिर जलाया | तब उन्हों ने याईर का घर देखा | कोई भी उन लोगों का मातम और रोना सड़क पर सुन साकता था |

यीशु: “तुम रो क्यों रहे हो ? बच्ची मरी नहीं है |”

हर व्यक्ति ने यीशु का मजाक उड़ाया | उन्हों ने उस लड़की को अपनी आँखों से देखा था | यीशु ने हर व्यक्ति को बाहर जाने के लिये कहा | केवल बच्ची के माता पिता और यीशु के तीन गहरे मित्रों को बच्ची के सोने के कमरे में जहाँ वह पड़ी हुई थी, अपने साथ आने की अनुमति दी गई थी | कमरे में मृत्यु का सा सन्नाटा छाया हुआ था | क्या याईर ने यीशु के इन शब्दों पर विचार किया था : “डरो नहीं, बल्कि मुझ पर विश्वास रखो ?” और उसे इस घटना में किस बात पर विश्वास रखना था ?

यीशु मरी हुई बेटी की खाट तक चले गये और उस का हाथ पकड़ लिया |

यीशु: “तलिता कूमी ! बेटी, खड़ी हो जा !”

उस के माता पिता ने देखा कि किस तरह उस ने अपनी आँखें खोलीं और खाट पर से उठ गई |

यीशु: “उसे कुछ खाने को दे दो |”

उसी प्रभु ने यह कहा, जो बीमरों को चंगा करता है और मृतकों को जीवित करता है |

यीशु सब कुछ कर सकते हैं ! सिवाय एक बात के: आप उन लोगों को निराश नहीं कर सकते जो आप पर विश्वास रखते हैं |

इसी कारण, तुम्हारे जीवन में कुछ भी हो, तब : डरो नहीं, बल्कि आप पर विश्वास रखो !


लोग: वर्णनकर्ता, याईर, यीशु, आदमी, स्त्री, संदेशवाहक

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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Page last modified on July 31, 2018, at 08:51 AM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)