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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 076 (Three lies in one night )

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

76. एक रात में तीन झूट


पतरस: “नहीं, वह सच नहीं है ! मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा |”

कभी कभी पतरस दिखावा किया करता था, परन्तु मेरा विश्वास है कि वह जो बोलता था वैसा निश्चय ही सोचता भी था |

पतरस: “मेरे साथ ऐसा कभी न होगा |”

क्या तुम ने कभी ऐसा सोचा था ? उस रात जब पतरस, यीशु और दूसरे चेलों के साथ चल रहा था तब वह निश्चित था | उस समय जब कि अंधेरा छाया हुआ था और उदासी छाई हुई थी, तब यीशु चलते चलते अचानक रुक गये और उन से बात चीत करने लगे |

यीशु: “इसी रात को तुम सब मुझ से बिछड जाओगे और मुझे छोड़ दोगे |”

पतरस: “कभी नहीं | चाहे दूसरे सभी आप को छोड़ दें पर मैं कभी ऐसा न करूँगा |”

यीशु हमारे दिल के भेद जानते हैं |

यीशु: “पतरस, मैं तुम्हें जानता हूँ | मुर्ग के बांग देने से पहले तुम तीन बार कहोगे कि तुम मुझे जानते ही नहीं थे |”

पतरस: “प्रभु यीशु, मैं कभी ऐसा न करूँगा; आप का इनकार करने की बजाय मैं अपने प्राण दे दुंगा |”

दूसरे चेलों ने भी यही कहा | परन्तु यीशु बेहतर जानते थे |

इस के तुरन्त बाद जब आप के शत्रु यीशु को बाँध कर ले गये, आप के सब चेले आप को छोड़ कर चले गये |
पतरस भी डर गया था | परन्तु बहुत दूर से वह आप के पीछे पीछे चल रहा था क्योंकि वह देखना चाहता था कि वे लोग आप के साथ क्या करने वाले थे |

पतरस: “वे आप को कहाँ ले जा रहे हैं ? कहीं महायाजक के महल में तो नहीं ? मेरा क्या होगा ? बहतर है कि मैं किसी का ध्यान आकर्शित न करूं ताकि वे मुझे भी बंदी न बना लें |”

पतरस अपने प्रभु के शत्रुओं के साथ बैठ गया | उन के साथ वह वहाँ आँगन में आग के पास अपने आप को सेक रहा था | क्या वहाँ रहना योग्य
था ? यीशु का मित्र उन लोगों के साथ जो यीशु से घ्रणा करते थे ?

पहली सेविका: “अरे तुम, तुम मुझे जाने पहचाने दिखाई दे रहे हो | क्या तुम भी यीशु के साथ नहीं थे ?”

पतरस: “मैं ? तुम्हें यह कल्पना कहाँ से आई ? मैं नहीं जानता कि तुम क्या कह रही हो ?”

दूसरी सेविका: “देखो, वह इस यीशु के साथ था |”

पतरस: “यह सच नहीं है | मैं उस मनुष्य को जानता भी नहीं |”

सेवक: “ऐसा कोई भी व्यक्ति बोल सकता है | निश्चय ही तुम यीशु के साथ थे | तुम्हारी भाषा यह स्पष्ट कर रही है |”

पतरस: “यह बकवास बंद करो | मैं तुम्हें बता रहा हूँ कि मैं यीशु को नहीं जानता |” (मुर्ग के बांग देने की आवाज)

घबरा कर पतरस ने चारों ओर देखा | उस समय, यीशु को ले जाया जा रहा था | जैसे ही आप पतरस के पास से गुजरे, आप ने दुखी हो कर पतरस की ओर देखा | यह देखना पतरस के दिल में घुस गया | और पतरस को यीशु के शब्द याद आये जो आप ने कुछ घंटों पहले कहे थे |

पतरस ने यीशु को धोका दिया | और वह बहुत पश्चताप कर रहा था | वह बाहर जा कर बहुत रोया | क्या इस के बावजूद वह जानता था कि यीशु अब भी उस से प्रेम करते हैं ?


लोग: वर्णनकर्ता, यीशु, पतरस, दो सेविकायें, सेवक

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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Page last modified on July 23, 2018, at 03:11 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)