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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
164. खोई हुई भेड़ २रुथ क्रोध में आ कर भाग गई | आँटी मारग्रेट के शब्द उस का पीछा कर रहे थे : “मैं तुम्हें किसी बोर्डिंग स्कुल में भेज दुंगी |” जब सूरज ड़ूब गया तब वह अपने घर से बहुत दूर थी और आश्चर्य कर रही थी कि उस रात को वह कहाँ सोयेगी | शायद कब्रस्तान के पीछे के गिरजे में | वह कब्र के पत्थरों के पास से होती हुई चली गई और जब उस ने एक छोटा सा सफ़ेद क्रूस देखा तब रुक गई | रुथ: “यूहन्ना कोलिन्स जो नौ साल की थी, यीशु के पास गई | यदि मैं आज मर गई तो क्या मैं भी यीशु के पास रहूंगी ?” अपने विचारों में खोई हुई, रुथ ने गिरजे में झाँक कर देखा (दरवाजे के खुलने की आवाज) | तब वह एक बेंच पर लेटी और सो गई | दूसरे दिन पादरी गिरजे में आया और वहाँ रुथ को देखा | पादरी: “गुड मॉर्निंग, तुम कहाँ से आई हो ?” रुथ ने पादरी पर विश्वास किया और उसे बताया कि वह कैसे भाग गई | तब उस ने पादरी के घर में स्वादिष्ट नाश्ता किया जब कि श्री रोबिनगर ने उस की ऑंटी को फोन किया | जब रुथ ने कमरे के चारों ओर देखा तब उस ने दीवार पर टंगी हुई एक तस्वीर देखी | पादरी: “क्या तुम्हें वह तस्वीर अच्छी लगी ? वह यीशु हैं, जो अच्छे चरवाहे हैं | आप अपना हाथ खोई हुई भेड़ की ओर बढ़ा रहे हैं | आप उसे बचाना चाहते हैं | वह भेड़ मुझे कुछ तुम्हारे बारे में याद दिलाती है |” रुथ: “क्या यीशु मुझे भी ढूंड निकालेंगे ? और क्या मैं भी यूहन्ना कोलिन्स की तरह स्वर्ग में जाऊँगी ?” पादरी: “हाँ, तुम्हें केवल आप को बताना होगा कि तुम आप की होना चाहती हो | मैं तुम्हें वह तस्वीर दुंगा | अपने घर वापस जाओ | तुम्हारी ऑंटी तुम्हारे लिये चिन्ता कर रही हैं |” घर जाते समय रुथ ने वह तस्वीर अपनी जेब में से निकाली | और प्रार्थना करते हुये उसे देखती रही | रुथ: “प्रभु यीशु, मैं अज्ञा न मानने वाली भेड़ हूँ | कृपया मेरे सब पाप क्षमा कीजिये | मैं आप की हो कर एक दिन स्वर्ग में आप के साथ रहना चाहती हूँ, आमेन |” यीशु इस प्रकार की प्रार्थनाओं का तुरन्त उत्तर देते हैं | रुथ ने इस के लिये आप को धन्यवाद कहा और खुशी से कूद पड़ी | ऑंटी मारग्रेट सामने के दरवाजे पर उस की प्रतीक्षा कर रही थीं | उन्हों ने एक दूसरे को गले लगाया | रुथ: “ऑंटी मारग्रेट, मुझे हर बात के लिये खेद है | कृपया मुझे बोर्डिंग स्कूल मे मत भेजीये | अब से मैं अच्छी लड़की बनुंगी |” ऑंटी मारग्रेट: “मैं तुम से प्रेम करती हूँ | चलो हम एक बार और ऐसा प्रयत्न करें |” रुथ ने सच में अपने स्वभाव पर घ्यान दिया | उस ने अच्छे चरवाहे की आवाज सुनी जब आप ने स्वय : और पवित्र शास्त्र के माध्यम से भी, उस के दिल से बात की | परन्तु उस ने अपने अभिमानी स्वभाव की आवाज को नहीं सुना जो हमेशा भड़क उठती थी | रुथ सच मुच बदल गई थी | कुछ समय तक सब कुछ ठीक से चल रहा था | परन्तु उस के बाद ... अगला ड्रामा सुनना न भूलो जब मैं तुम्हें बताऊंगा कि यह उत्तेजित कहानी कैसे जारी रहती है | लोग: वर्णनकर्ता, रुथ, पादरी, ऑंटी मारग्रेट © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |