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56. परमेश्वर किसी को नहीं भूलता ४
यूसुफ प्रतिक्षा कर रहा था | एक सप्ताह बीत गया, फिर एक और सप्ताह | एक महीना | दो महीने --- और समय बीतता गया और यूसुफ ने
सोचा :
यूसुफ: “मैं ने कोई अपराध नहीं किया परन्तु यहाँ मैं बंदीगृह में हूँ | मुझे कोई यहाँ से निकाल क्यों नहीं रहा ?”
एक बंदी ने जिसे मुक्त किया गया था, यूसुफ को वचन दिया था कि वह फिरौन से उस के विषय में बात करेगा | परन्तु वह यूसुफ के विषय में सब कुछ भूल गया | और तब से दो लम्बे साल बीत गये | परन्तु एक व्यक्ति था जो यूसुफ को न भूला था | परमेश्वर | उस ने यूसुफ को वचन दिया था कि वह एक महान शासक बनेगा | और अब परमेश्वर अपना वचन पूरा कर रहा था |
फिरौन ने एक स्वप्न देखा | परन्तु कोई भी व्यक्ति उसे उस का अर्थ न बता सका | वह परेशान हुआ | तब उस बैरे को जो फिरौन की सेवा करता था, अचानक कुछ याद आया |
बैरा: “मैं एक व्यक्ति को जानता हूँ जो स्वप्नों का अर्थ समझा सकता है | यूसुफ | वह बंदीगृह में है परन्तु निर्दोष है | मैं उस के बारे में पूर्णत : भूल गया था |”
फिरौन: “उसे तुरन्त मेरे पास लाओ |”
फिरौन की आज्ञा का पालन किया गया |
यूसुफ मिस्र के राजा के सामने आया और उस के सामने झुक गया |
फिरौन: “मैं ने सुना है कि तुम स्वप्नों का अर्थ समझा सकते हो |”
यूसुफ: “महान फिरौन, मैं यह नहीं कर सकता, परन्तु परमेश्वर कर सकता है |”
फिरौन: “मैं ने स्वप्न देखा कि मैं नील नदी के किनारे खड़ा था | पानी में से सात मोटी गायें निकल आईं, परन्तु उन्हें सात दुबली गायों ने खा
लिया | फिर मैं ने स्वप्न में अनाज की सात मोटी बालें देखीं जिन्हें अनाज की सात पतली बालों ने खा लिया | इस का क्या अर्थ हुआ ? क्या तुम मुझे बता सकते हो ?”
यूसुफ: “परमेश्वर ने तुम्हें बताया है कि सात अच्छे साल आ रहे हैं | मिस्र में अच्छी फसल होगी | परन्तु उस के बाद सात साल अकाल के आयेंगे | तब कुछ भी न ऊगेगा | यह अवश्य होगा | सब से अच्छा काम यह होगा कि कोई बुद्धिमान मनुष्य ढूंडा जाये जो बहुतायत के सालोंमें अनाज जमा करे ताकि लोग अकाल के सात सालों में भूखों न मरें |”
इस योजना से फिरौन सन्तुष्ट हुआ |
फिरौन: “यूसुफ, तुम ही यह व्यक्ति हो | परमेश्वर तुम्हारे साथ है | मैं तुम्हें अपना सहायक नियुक्त करता हूँ | मिस्र का हर व्यक्ति तुम्हारी आज्ञा का पालन करेगा |”
इस तरह यूसुफ इस देश में दूसरा अत्यन्त शक्तिशाली मनुष्य बना | वह इस पर विश्वास न कर पा रहा था | परमेश्वर ने उसे भुला न दिया था, जब के कभी कभी ऐसा दिखाई देता था | उस के भाई उस से घ्रणा करते थे, वह दास समान बेचा गया, और फिर निर्दोष होते हुए भी बंदीगृह में फेंका गया था |
मेरा अंदाजा है कि यूसुफ दस साल तक कठिनाईयां सहन करता रहा | यह तुम्हें प्रोत्साहित करेगा | परमेश्वर किसी को नहीं भूलता | तुम्हें भी
नहीं | उस पर विश्वास करो और अपने जीवन भर उस पर भरोसा रखो | तुम्हें आश्चर्य होगा कि परमेश्वर ने यूसुफ के द्वारा क्या किया | इस लिये तुम अगला ड्रामा अवश्य सुनो |
लोग: वर्णनकर्ता, यूसुफ, बैरा, फिरौन
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