STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
89. रिंगु और सांडों की दौड़ १भारत के छोटे से गाँव में रिंगु ने सांडों को गाडी में जोत दिया | तब उस के माता पिता उस में सवार हो गये | रिंगु: “बत्तू, तुम भी आ जाओ, हम जा रहे हैं |” बत्तू: “हुरराह, हम बाजार को जा रहे हैं |” रिंगु: “और तब हम सांडों का महान उत्सव मनायेंगे |” बत्तू: “रिंगु, तुम्हें सांडों की प्रतिस्पर्धा जीतते हुये देखने के लिये मैं उत्सुक हूँ |” रिंगु सांडों को हांकने के लिये आगे बैठा था परन्तु वह बहुत उदास था | मार्ग जंगल में से जाता था | कुछ लोग कहते थे कि वहाँ शेर रहते थे और दुष्ट आत्मायें भी वहाँ छिपी रहती थीं | बत्तू: “रिंगु, तेज गति से हांको, और तेजी से |” रिंगु: “मुझे शंका है कि हम किसी परदेसी को देख सकेंगे या नहीं ? तुम उसे जानते हो, वह गोरी चमड़ी वाला ऊँचा पुरुष | वह जो हमाशा अच्छे परमेश्वर के विषय में बोला करता है |” शहर में बहुत धक्कम धक्का हो रहा था | जैसे ही वे शहर में पहुँचे, सब से पहले बत्तू गाडी में से उतरा | रिंगु: “ओह, ओह, मेरा पाँव !” एक लम्बा काँटा उस की एडी में चुभ गया था | उस ने अपने दांत दबाये और उस कांटे को खींच कर निकाल दिया | उस के बाद वह अपने माता पिता के पीछे लंगड़ाता हुआ चलने लगा | उस के पिता ने कुछ सामान ख़रीदा और रिंगु ने चुपके से एक केला चुरा लिया | वह अच्छी तरह से जानता था कि यह ठीक नहीं है परन्तु उस ने सोचा कि दूसरे लोग भी तो चुराते हैं | उन्हों ने सुरीला संगीत सुना | रिंगु वहाँ तक भागना चाहता था परन्तु किसी पुरुष से टकराया | उस मनुष्य के हाथ में जो पत्रिकायें थीं वह सब गिर गईं | वह वही परदेसी था | रिंगु ने भागने का प्रयत्न किया परन्तु उसे रोका गया | मिशनरी: “मेरे मित्र, एक मिनिट के लिये रुक जाईये | मैं तुम्हें यह पत्रिका देना चाहता हूँ | यह परमेश्वर की ओर से पत्र है | इस में तुम तुम्हारे लिये उस के प्रेम के विषय में पढ़ सकते हो |” रिंगु ने वह पत्रिका छीन ली और अपनी पगड़ी में रख दी | संगीत रुक गया और जो भारती वह वाधयंत्र बजा रहा था वह उठ कर खड़ा हो गया | पांडू: “मेरा नाम पांडू है | मैं दुष्ट आत्माओं के लिये बलि चढ़ाता था और सांडों की आराधना करता था | परन्तु अब मैं जीवित परमेश्वर को जानता हूँ और उस की सेवा करता हूँ | वही एक सत्य परमेश्वर है |” रिंगु ने इन बातों पर विचार किया | दूसरे दिन सवेरे ढोलों के उच्च स्वर ने उसे जगाया | डरते हुए उस ने अपना लाल, सूजा हुआ पाँव देखा | उस के पिता ने जादूगर को बुलाया | जैसे ही वह उस के पास आया, रिंगु कांपने लगा | उस ने काली मिर्ची उस के जखम पर छिड़की और उस के कान में फूंका | रिंगु चिल्लाया | रिंगु: “आउच !आउच !” काली मिर्च और फूंकना कैसे सहायक हो सकता है ? प्रतिस्पर्धा शुरू हुई | रिंगु को बहुत दर्द हो रहा था | परन्तु उस ने संयम से काम लिया और हंसने का प्रयत्न किया | (बन्दुक की गोली चलने की आवाज) सांड भागने लगे | दर्शकों ने उन का जयजयकार किया | रिंगु फिर दर्द के कारण रोया और गाडी के पीछे भागा | उस ने ठोकर खाई और तब ...? अगला ड्रामा तुम्हें बतायेगा कि तब क्या हुआ | लोग: वर्णनकर्ता, रिंगु, बत्तू, मिशनरी, पांडू © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |