STORIES for CHILDREN by Sister Farida

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

97. जो कोई नहीं सुनेगा १


(खटखटाने की आवाज)

पहला आदमी: “अब उस ने अपना काम फिर शुरू किया |”

स्त्री: “वह मुझे बहुत परेशान करता है |”

दूसरा आदमी: “वह सर्व काल का बड़ा बाँध बनाने वाला है | वर्षा होने वाली है | परमेश्वर ने शायद उसे यह बताया है |”

परमेश्वर ने निश्चय ही उसे यह बताया था |

परमेश्वर ने कहा: “मैं ने एक निर्णय लिया है | मैं हर व्यक्ति को जो जमीन पर जीता है, नष्ट करूँगा | उन के विचार और कार्य पूर्णत : भ्रष्ट हैं |”

नूह अकेला मनुष्य था जो परमेश्वर पर विश्वास रखता था | इस के लिये उसे बहुत साहस की आव्यशकता थी | उस ने अपने आप को बुरे काम करने न दिया | वह दृढ़ रहा और वह सब किया जिस का परमेश्वर ने आदेश दिया | परमेश्वर उस से प्रसन्न था |

परमेश्वर ने कहा: “नूह, लकड़ी का एक जहाज़ बना | मैं एक बड़ी बाढ भेज रहा हूँ | हर जीवित वस्तु ड़ूब जायेगी | परन्तु मैं तुझे और तेरी पत्नी को और तेरे बेटों और उन की पत्नियों को बचाऊँगा |”

नूह ने वह सब किया जो परमेश्वर ने उस से कहा था | उस ने अपने बेटों के साथ परमेश्वर के निदेशन के अनुसार एक जहाज़ बनाया | वह करीब करीब ५०० फुट लम्बा, ७२ फुट चौड़ा और ४० फुट ऊँचा था | ऊपर की छत बिठाई गई और तीन मंजिलों को कमरों में बाँट दिया गया | जहाज़ का एक दरवाजा था और छत पर एक खिडकी थी | उसे अन्दर और बाहर से डामर से पोत कर सील किया गया |

क्या तुम कल्पना कर सकते हो कि उन के पड़ोसियों ने उन का कितना मजाक उड़ाया होगा ?

पहला आदमी: “नूह पागल है | यह जहाज़ तैर सके इतना पानी कहाँ से आयेगा ?”

दूसरा आदमी: “मैं ने कभी वर्षा देखी भी नहीं है | नूह, तुम जो कर रहे हो उसे बंद कर दो और जीवन का आनंद लो |”

परन्तु नूह ने अपना काम नहीं रोका | उस ने वह काम जारी रखा जो परमेश्वर ने उसे करने के लिये कहा था | कई साल के परिश्रम के बाद जहाज़ बन कर तैयार हुआ |

परमेश्वर ने कहा: “नूह, अपने परिवार के साथ जहाज़ में चढ़ जाओ | अपने साथ हर प्राणी में से दो दो और सब के लिये पर्याप्त मात्रा में भोजन ले लो | केवल एक और सप्ताह और फिर उस के बाद ४० दिन और ४० रात तक मैं लगातार वर्षा होने दूँगा |”

नूह ने वर्षा नहीं देखी थी परन्तु वह सब कुछ करता गया जैसा परमेश्वर ने कहा था | वह अपने परिवार के साथ जहाज़ में सवार हो गया | जानवर भी आ गये | ऐसे लगता था जैसे उन्हें आने वाले खतरे की जानकारी थी |

वे सब उस एक ही दरवाजे से जहाज़ में चले गये |

परमेश्वर ने स्वय : नूह के पीछे दरवाजा बंद कर दिया | उस ने उन्हें बचाया जिन्हों ने उस पर विश्वास किया और उस के आज्ञाकारी रहे थे |

और दूसरे ? उन्हों ने परमेश्वर पर विश्वास नहीं किया |

वर्षा की पहली बूँदें गिरीं | और तब लोगों ने अचानक जान लिया कि परमेश्वर जो कहता है वह करता है |

अगले ड्रामे में मैं तुम्हें बताऊँगा कि और क्या हुआ |


लोग: वर्णनकर्ता, दो आदमी, स्त्री, परमेश्वर

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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