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51. दो उपहार
पहला मित्र: “क्या तुम जानते हो कि हमारे मित्र की स्तिथी कैसी है ?”
दूसरा मित्र: “बहुत निर्बल है |”
पहला मित्र: “दिन रात पड़े रहना और घूम फिर न सकना कितना भयानक होता होगा |”
दूसरा मित्र: “उस के लिये मुझे बहुत बुरा लगता है |”
पहला मित्र: “हमें उसे यीशु के पास ले जाना चाहिये | आप कफरनहूम में हैं और आप उसे चंगा कर सकते हैं |”
यह सच्चे मित्र थे | उन्हों ने अपने लंगड़े मित्र को त्याग न दिया | वे उसे उस की चटाई पर यीशु के पास ले गये | दुर्भाग्यवश वे कुछ देर से पहुँचे | जिस घर में यीशु वचन सुना रहे थे वह पहले से ही लोगों से भरा हुआ था | दरवाज़े के सामने भी भीड़ लगी हुई थी, जिस के कारण दरवाज़े के मार्ग से अन्दर घुसना असंभव था | प्रत्येक व्यक्ति यीशु का वचन सुनना चाहता था | कोई और व्यक्ति परमेश्वर के विषय में इतनी अच्छी शिक्षा न दे सकता था जितनी आप देते थे |
दूसरा मित्र: “मेरे पास एक प्रस्ताव है | तुम वह सीड़ी देखते हो जो छत तक जाती है ?”
पहला मित्र: “तुम जो सोच रहे हो उस का मैं अंदाजा लगा सकता हूँ | आईये हम ऐसा ही करें ! चलो चलें !”
वे अपने मित्र को सीडियों के मार्ग से सावधानी के साथ छत तक ले गये | तब उन्हों ने मिट्टी की छत में छेद किया और अपने बीमार मित्र को उसकी चटाई पर सीधे प्रभु यीशु के सामने उतार दिया | क्या आप उस की सहायता करेंगे ?
यीशु ने मित्रों की ओर देखा | आप ने उन के विश्वास को देखा और इस कारण उस लंगड़े व्यक्ती से कहा :
यीशु: “तेरे पाप क्षमा किए गये |”
यीशु ने उसे क्षमा प्रदान की | किसी ने उस की प्रत्याशा न की थी | कुछ लोगों ने सोचा कि आप पाप कैसे क्षमा कर सकते हैं ? केवल परमेश्वर ही हमें क्षमा कर सकता है |
क्या वे अब तक यह समझ न पाये थे कि यीशु परमेश्वर के पुत्र हैं और पाप क्षमा कर सकते हैं ? यीशु जानते थे कि वे क्या सोच रहे हैं |
यीशु: “तुम अपने दिल मे क्या सोच रहे हो ? क्या यह कहना आसान है : ‘तेरे पाप क्षमा हुए’ या, ‘उठ, अपनी चटाई उठा और चल फिर ?’ तुम एक मिनिट में देख लोगे कि मैं दोनों काम कर सकता हूँ |”
तब यीशु ने उस लंगड़े व्यक्ति से कहा :
यीशु: “मैं तुझे आज्ञा देता हूँ : उठ! अपनी चटाई उठा और अपने घर चला जा |”
किसी ने हरकत न की | तब वह लंगड़ा व्यक्ति हिलने लगा ! वह उठा, अपनी चटाई लपेटी और चलने लगा |
यीशु ने उसे चंगा किया था | इस के लिये, हर एक ने परमेश्वर की स्तुती की | आश्चर्य चकित हो कर वे बोले :
लोग: “इस से पहले हम ने ऐसा कभी नहीं देखा !”
एक व्यक्ति बहुत आशीषों के साथ घर गया | यीशु ने उस लंगड़े व्यक्ति को कौन से दो उपहार दिये ? हमें लिखिये और हम तुम्हें उत्तर देंगे |
और हमेशा याद रखो : यीशु तुम्हें आशीष देना चाहते हैं !
लोग: वर्णनकर्ता, दो मित्र, यीशु, लोग
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