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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 105 (The sign on the door 5)

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

105. दरवाजे पर का चिन्ह ५


सवेरे एक चलती हुई गाडी घर के सामने रुक गई |

लड़का: “मामा, वे आ रहे हैं |”

माँ: “क्या तुम तुम्हारे पक्षी का पिजरा ले जा सकोगे ?”

लड़का: “हेलो, क्या तुम ने सुना - हम जा रहे हैं (पक्षियों के चीं चीं करने की आवाज) ! क्या तुम खुश हो ? मैं पहले से ही उत्तेजित हो चुका हूँ |”

परन्तु प्रोढों के तनाव में कोई कमी न आई |

उन दिनों में यह कैसे हुआ होगा जब कि केवल एक परिवार को ही नहीं बल्कि पूर्ण राष्ट्र को चला जाना था ?

वे कई दिनों से मिस्र को छोड़ कर जाना चाहते थे और वहाँ की दासता से निकल जाना चाहते थे | परन्तु फ़ीरौन उन्हें जाने न देता था | उस ने उन्हें रोके रखा | उन्हें कष्ट के साथ काम करना पड़ता था | अपनी आव्यशकता में वे दिन और रात को अपने परमेश्वर को पुकारते थे | परमेश्वर ने कई आश्चर्यकर्म किये परन्तु फ़ीरौन का दिल कठोर रहा | परमेश्वर ने मूसा के लिये अपना कार्य दोहराया |

परमेश्वर: “मूसा, फ़ीरौन के पास जाओ | आज रात को मैं मिस्र देश पर से चला जाऊंगा और हर परिवार का पह्लौठा पुत्र मर जायेगा |”

शाम के समय एक ईस्राएली लड़का अपने पिता को एक मेमना जबह करते हुए देख रहा था |

यहोशू: “पिताजी, इस मेमने को क्यों मरना था ?”

पिता: “यहोशू, ताकि तुम जीवित रहो | परमेश्वर ऐसा ही चाहता है |”

पिता ने मेमने से कुछ खून लिया और उसे घर के दरवाजे की चौखट पर लगाया, बाईं, दहनी और ऊपर कि ओर |

पिता: “यह खून एक चिन्ह है | परमेश्वर आज हमारे घर के पास से जायेगा और जब वह खून देखेगा तब वह हमारी रक्षा करेगा |”

यहोशू: “मुझे मेमने के लिये दुख : होता है परन्तु उस के कारण मेरे प्राण बचेंगे |”

प्रत्येक ईस्राएली परिवार ने अपने अपने दरवाजों की चौखट पर मेमने का खून लगाया |

पिता: “यहोशू, अब अन्दर आ जाओ, अंधेरा छा गया है | अपने कपड़े पहनो | हमें तैयार रहना है |”

उन्हों ने खड़े खड़े भोजन किया | आधी रात के समय उन्हों ने रोने की जोरदार आवाज सुनी | मिस्र के हर घर में का पहलौठ मर गया |

फ़ीरौन: “जितनी जल्दी हो सके मिस्र छोड़ कर चले जाओ | तुम्हारी हर वस्तु ले कर जाओ | अभी चले जाओ |”

दस लाख से अधिक पुरुष, स्त्रियां और बच्चे तैयार थे और उसी रात वे निकल पड़े | यहोशू जीवित था | उस के पिता ने उस का हाथ पकड लिया
था | दरवाजे की चौखट पर के चिन्ह ने उन की रक्षा की थी और उन के प्राण बचाये थे |

परमेश्वर बचाना चाहता है | उसे जीवन चाहिये, मृत्यु नहीं |

प्रभु यीशु जख्मी अवस्था में क्रूस पर लटके रहे और तब आप मर गये | आप का खून इस बात का चिन्ह था कि परमेश्वर हमें अनन्त मृत्यु से बचाना चाहता था | इसी लिये यीशु ने कहा : जो मुझ पर विश्वास करेगा वह जियेगा, यदि वह मर भी जाये | (यूहन्ना ११:२५)


लोग: वर्णनकर्ता, लड़का, माँ, परमेश्वर, यहोशू, पिता, फ़ीरौन

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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Page last modified on August 17, 2022, at 02:25 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)