Home
Links
Contact
About us
Impressum
Site Map


YouTube Links
App Download


WATERS OF LIFE
WoL AUDIO


عربي
Aymara
Azərbaycanca
Bahasa Indones.
বাংলা
Български
Cebuano
Deutsch
Ελληνικά
English
Español-AM
Español-ES
فارسی
Français
Fulfulde
Gjuha shqipe
Guarani
հայերեն
한국어
עברית
हिन्दी
Italiano
Қазақша
Кыргызча
Македонски
മലയാളം
日本語
O‘zbek
Plattdüütsch
Português
پن٘جابی
Quechua
Română
Русский
Schwyzerdütsch
Srpski/Српски
Slovenščina
Svenska
தமிழ்
Türkçe
Українська
اردو
中文

Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 104 (Pharaoh is obstinate 4)

Previous Piece -- Next Piece

नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

104. फिरौन नहीं मानेगा ४


हारून: “मूसा, क्या यह तू ही है ? सलाम |”

मूसा: “हारून, मैं विश्वास नहीं कर सकता | हम ने एक दूसरे को ४० साल से नहीं देखा |”

भाईयों ने एक दूसरे को गले से लगा लिया | वे बहुत खुश थे |

परमेश्वर ने उन के लिये एक कार्य निश्चित किया था |

मूसा को ईस्राएलियों को मिस्रियों की दासता से निकाल कर ले जाना था | और यह कार्य करने के लिये उस के भाई को उस की सहायता करनी थी | उन्हें इस भयानक राजा, फि़रौन के पास जाना था | इस के लिये उन्हें बडे साहस की आव्यशकता थी |

मूसा: “फि़रौन, प्रभु, ईस्राएल का परमेश्वर तुम से यह कहता है : मेरे लोगों को जाने दे |”

फि़रौन: “प्रभु ? वह कौन है ? मैं उसे नहीं जानता | और ईस्राएलियों को जाने देने का मेरा कोई इरादा नहीं है | तुम यहाँ से चले जाओ !”

फि़रौन, परमेश्वर का आदेश सुनना न चाहता था |

फि़रौन: “तुम सुस्त और आलसी लोगो ! चले जाओ और अपना काम करो | तुम्हें ईंट बनाने के लिये और भूसा नहीं दिया जायेगा | तुम स्वय : उसे प्राप्त करो | परन्तु तुम्हें उतनी ही ईंटें बनानी होंगी जितनी पहले बनाते थे |”

यह समझ से बाहर है ! अब हर बात पहले से भी अधिक खराब थी | ईस्राएलियों ने मूसा को ड़ाँटा | मूसा ने प्रार्थना की |

मूसा: “प्रभु, तू ने मुझे फि़रौन के पास क्यों भेजा ? अब यह हमारे लिये पहले से भी अधिक बुरा हो गया | तू ने अपने लोगों को मुक्त करने के लिये कुछ भी नहीं किया ?”

परमेश्वर ने कहा: “तुम बहुत जल्दी देखोगे कि मैं फि़रौन के साथ क्या करूँगा | मैं उसे तुम्हें जाने देने के लिये बाध्य करूँगा | मैं ने जो वचन दिया है, वैसा ही करूँगा | मैं तुम्हें मुक्त करूँगा |”

परमेश्वर ने मिस्रियों पर कई दंड भेजे |

लड़का: “एक समय उस ने नदियों के सब पानी को खून में बदल दिया | परन्तु फि़रौन फिर भी विश्वास न कर पाया |”

लड़की: “हाँ, और फिर मेंडकों ने सारे देश को ढांक लिया | वह फि़रौन के बिस्तर में भी घुस गये |”

लड़का: “और फिर अचानक ओले गिरे जिस ने सारी फसल का नाश कर दिया |”

लड़की: “तीन दिन तक पूर्णता : अंधेरा छाया रहा | परन्तु यह सब आश्चर्यकर्म फि़रौन को विश्वास न दिला सके | वह इतना जिद्दी है |”

लड़का: “कितना शांत था कि इन सजाओं ने ईस्राएलियों को कोई हानी नहीं पहुँचाई |”

तब परमेश्वर ने सब से बुरा दंड घोषित किया |

परमेश्वर ने कहा: “फि़रौन और मिस्र पर एक और दंड आयेगा और तब तुम मुक्त हो जाओगे |”

मूसा फि़रौन के पास अंतिम बार गया |

मूसा: “आज परमेश्वर मिस्र देश पर से गुजरेगा और हर परिवार का पह्लौठा मर जायेगा | तेरा पुत्र भी | तब तू जान जायेगा कि ईस्राएल जीवित परमेश्वर की सेवा करता है |”

क्या फि़रौन अंत में यह जान जायेगा ? यह तुम अगले ड्रामे में देख लोगे |


लोग: वर्णनकर्ता, मूसा, हारून, फि़रौन, परमेश्वर, लड़का, लड़की

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

www.WoL-Children.net

Page last modified on July 31, 2018, at 08:32 AM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)