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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 081 (Man overboard 1)

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

81. जहाज पर आदमी १


हमारे साथ आओ, हम नगर के दर्शन के लिये जा रहे हैं !

लड़का: “वह किला बहुत शानदार है | मैं उस के मीनारों को देखुंगा जहाँ से चौकीदार पहरा देते हैं |”

लड़की: “मैं पुस्तकालय में जाना चाहुंगा | मैं वहाँ कई घंटों तक दृष्टिपात कर सकती हूँ |”

लड़का: “राजा का महल | वाव, वह कितना शानदार है !”

लड़की: “मैं चिडियाघर को जाऊँगी |”

लड़का: “क्या तुम वहाँ अपने रिश्तेदारों को देखने जा रही हो ?” (हंसने की आवाज)

कई साल पहले, परमेश्वर ने इस नगर को देखा | उस ने अपने आप को वहाँ के वेनीर के सुंदर वृक्षों से प्रभावित होने न दिया | उस ने उस के जो पीछे था उसे देखा - अत्यन्त अधिक घ्रणा, लड़ाई झगड़ा, विश्वास घात और हत्या | इस नगर के लोग ऐसे जी रहे थे जैसे परमेश्वर और उस कि आज्ञायें अस्तित्व में ही नहीं थीं | उन्हों ने अपने निर्माता को भुला दिया था | यह सब से बुरी बात थी जो किसी के साथ होती | यदि परमेश्वर नजदीक से तुम्हारे जीवन को देखे तो वह क्या देखेगा ?

उसे पाप के लिये दंड देना ही होगा क्योंकी वह पवित्र है | परन्तु साथ ही साथ परमेश्वर प्रेमालू भी है और वह लोगों को बचाने का अधिक प्रयत्न करेगा, इसी लिये वह चेतावनी देना चाहता था |

परमेश्वर ने कहा: “योना, तुम जग प्रसिद्ध नगर, नीनवे को जाओ और उन्हें बताओ कि मैं उन्हें उन के पापों के कारण कैसे दंड दुंगा | क्योंकी यह लोग मुझे भूल गये हैं |”

योना गया परन्तु नीनवे को नहीं |

(तेज भागने और जोर असे क्ष्वास लेने की आवाज)

योना: “मैं किसी भी स्तिथी में नीनवे नहीं जाऊँगा ! हमारे देश के शत्रु के पास ? मैं पागल नहीं हुआ हूँ | वे मरने के ही पात्र हैं | अरे वाह, बंदरगाह में जहाज खड़ा है | मैं उन्हें बहुत पैसे देकर यहाँ से बहुत दूर तक जल यात्रा करूँगा |”

परमेश्वर से भाग जाना बहुत महंगा साबित हो सकता है | योना जहाज के गोदाम में चढ़ गया और पीपों और डिब्बों के बीच में सो गया क्योंकी वह थका हुआ था | योना गूंगा था | क्या कोई व्यक्ति परमेश्वर के पास से भाग सकता है ? यदि हम धर्ती की सीमा तक भी चले जायें तो भी वह हमें देख लेगा | और परमेश्वर ने योना को भी देख लिया |

एक भयानक आँधी आई | जहाज के मल्लाहों ने अपने देवताओं को पुकारा | जीवित परमेश्वर की, जो उन्हें बचा सकता था, उन्हें जानकारी ही न थी | उन्हों ने जहाज पर का सामान पानी में फ़ेंक दिया ताकि जहाज हल्का हो जाये | कप्तान ने योना को हिला कर जगाया |

कप्तान: “हे, जाग जाओ ! अपने परमेश्वर को पुकारो, कदाचित वह हमें बचा सके |”

योना तुरन्त जाग गया | और हर बात प्रगट हुई |

मल्लाह: “तुम कौन हो ? और कहाँ से आये हो ? तुम्हारा व्यवसाय क्या है ?”

योना: “मैं योना हूँ | मैं उस परमेश्वर की अराधना करता हूँ जिस ने धर्ती और आकाश बनाये | मैं इस आँधी के आने का कारण हूँ क्योंकी मैं ने परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानी |”

मल्लाह: “और अब हम क्या करें ?”

योना: “मुझे समुद्र में फ़ेंक दो तब फिर से सब कुछ शांत हो जायेगा और परमेश्वर तुम्हें बचायेगा |”

शुरू में तो वह ऐसा करना नहीं चाहते थे परन्तु बाद में मल्लाहों ने योना को लेकर पानी में फ़ेंक दिया | (पानी के बखेरने की आवाज)

क्या योना का यही अंत था ? नहीं ! साहसी कार्य अब शुरू हुआ |

और अगले ड्रामे में वह जारी रहेगा |


लोग: वर्णनकर्ता, लड़का, लड़की, परमेश्वर, योना, कप्तान, मल्लाह

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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Page last modified on July 23, 2018, at 03:01 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)