STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
8. आधी रात को भूकंपजहाज ने घाट पर लंगर डाल दिया था | पौलुस और उन का मित्र सीलास जहाज से उतर कर फिलिप्पी शहर को गये | बाज़ार और सड़कों पर वे बार बार कहते जा रहे थे : पौलुस: “परमेश्वर तुम से प्रेम करता है | उस ने अपने पुत्र को दुनिया में भेजा | प्रभु यीशु पर विश्वास करो तो तुम उद्धार पाओगे |” गीता ने इस पर विश्वास किया और उत्साहपूर्वक यीशु के विषय में कहानियाँ सुनने लगी | दूसरे लोग निराश हुए और क्रोध से चिल्लाये : आदमी: “वे विद्रोह कर रहे हैं ! हम यह सुनना नहीं चाहते ! उन्हें यहाँ से निकल दो !” पत्थर बरसाये गये | अचानक सारी भीड़ ने परमेश्वर के संदेशवाहकों के विरुद्ध कोलाहल मचाया | क्रोधित लोगों ने पौलुस और सीलास के कपड़े फाड डाले और उन्हें चाबुक लगाये | जिन लाठीयों से उन्हें मारा गया था उन से उन की पीठ घायल हो गई थी | उन्हें एक अँधेरे और न्मदार बन्दीगृह में फ़ेंक दिया जहाँ बन्दीगृह के दारोगा ने उन के हाथ और पाँव काठ में ठोक दिये | हर प्रयास से पीड़ा होती थी और उन की पीठ पीड़ा से जल रही थी | पवित्र शास्त्र में हम पढ़ते हैं कि बंदियों ने न शिकायत की और न ही पूछा : “परमेश्वर ने हमारे साथ यह क्यों होने दिया ?” बल्कि उन्हों ने आधी रात को परमेश्वर की स्तुति के गीत गाये | और तब यह हुआ : परमेश्वर ने एक शक्तिशाली भूकम्प भेज कर उन की सहायता की | उन की जंजीरें गिर पड़ीं और दरवाजे खुल गये | आवाज सुन कर बन्दीगृह का दारोगा जाग गया | पहला विचार जो उस के मन में आया वह यह था कि सब बन्दी भाग गये | वह अपने हाकिम से डरता था इस लिये वह मरना चाहता था | उस ने अपनी तलवार खींच ली --- पौलुस: “रुक जाओ ! अपने आप को कुछ हानी न पहुँचाओ | हम सब यहाँ हैं |” यह सच है कि कोई बन्दी भाग न गया था | कॉंपते हुए बन्दीगृह का दारोगा पौलुस के पाँवों पर गिर गया | बन्दीगृह का दरोगा: “उद्धार पाने के लिये मुझे क्या करना चाहिये ?” पौलुस: “तुम्हें कुछ करने की आव्यश्कता नहीं है | यीशु ने तुम्हारे लिये सब कुछ कर दिया है | आप के विषय में इन बातों पर विश्वास करो और तुम उद्धार पाओगे |” यह इतना आसान था | बन्दीगृह के दारोगे ने विश्वास किया और उस में परिवर्तन आ गया | उस ने बंदियों को और पीड़ा नहीं पहुँचाई बल्कि उन्हें खाने के लिये भोजन दिया और उन के घाओं पर पट्टी बौंधी | दूसरे दिन सवेरे न्यायधीशों ने बन्दीगृह के दारोगे के पास संदेश भेजा और उसे इन दो आदमियों को छोड़ देने को कहा | और उन्हों ने स्वय: आकर पौलुस और सीलास की ओर अपने दुष्ट व्यवहार के लिये उन से क्षमा माँगी | इस के बाद पौलुस और सीलास कई और स्थानों पर गये और बहुत से लोगों को बताया : पौलुस: “प्रभु यीशु पर विश्वास करो तो तुम उद्धार पाओगे और अनन्त जीवन प्राप्त करोगे |” लोग: वर्णन कर्ता, पौलुस, आदमी, बन्दीगृह का दारोगा © कॉपीराईट सी इ एफ जरमनी |