STORIES for CHILDREN by Sister Farida

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

146. बोलने वाले पत्त्हर १


क्या तुम कोई वस्तु जमा करते हो ? टिकट या सिक्के ? जेक की अल्मारी के खाने पत्थरों से भरे हुये थे |

अन्द्रिया: “वाव ! यह सब तुम्हें कहाँ मिले ?”

जेक: “यह पत्थर मुझे पहाड़ पर यात्रा के समय मिला | और यह टुकड़ा बरलिन की दीवार पर मिला | मेरे चाचा ने उसे मिस्र के राजाओं की खाई में से लाया |”

अन्द्रिया: “हर पत्थर अपने रूप और रंग में एक दूसरे से अलग है |”

जेक: “अधिक तर पत्थर मुझे अपने अनुभव की याद दिलाते हैं जो मुझे हुआ था |”

क्या तुम जानते हो की अब्राहम ने भी पत्थर खड़े किये थे ? उस की अलमारी के खाने पर नहीं कयोंकि वह पत्थर बडे थे जो वहाँ नहीं रखे जा सकते थे | अब्राहम लग भाग ४००० साल पहले जिया और याद के तौर पर पत्थर जमा करता गया और उन्हें विशेष स्थानों पर रखता गया |

अन्द्रिया: “परन्तु क्यों ?”

यह सब उस समय शुरू हुआ जब जीवित परमेश्वर ने उस से बात की |

परमेश्वर की आवाज: “अब्राहम, अपने देश और अपने रिश्तेदारों को छोड़ दे और उस देश में चला जा जो मैं तुझे दिखाऊंगा |”

अब्राहम ने परमेश्वर को नहीं देखा परन्तु उस ने उस की आवाज स्पष्ट रूप से सुनी और जान गया कि उसे क्या करना है : उसे सब कुछ छोड़ देना था | परमेश्वर यह बिन्ती उस व्यक्ति से करता है जिसे वह कोई अच्छी वस्तु देने वाला होता है |

परमेश्वर की आवाज: “मैं तुझे एक नया देश बताऊंगा और तुझे एक बड़ी जाती बनाऊंगा और तुझे आशीष दुंगा और तेरा नाम महान करूँगा |”

अब्राहम को जानकारी नहीं थी कि मार्ग उन्हें कहाँ ले जायेगा फिर भी वह और उस की पत्नी स्वदेश छोड़ कर चले गये कयोंकि अब्राहम परमेश्वर पर विश्वास रखता था और आज्ञाकारी था |

एक लम्बी यात्रा के बाद अब्राहम उस देश में पहुँचा जो आज ईस्राएल कहलाता है |

क्या उस ने कल्पना की होगी कि परमेश्वर उसे एक बड़ी जाती बनायेगा, एक ऐसा देश जिस में से कई साल के बाद हमारे उद्धार कर्ता, यीशु
आयेंगे ?

इस परराष्ट्र में अब्राहम ने फिर परिचित आवाजें सुनीं |

परमेश्वर की आवाज: “मैं यह देश तेरे वंश को दुंगा |”

अब अब्राहम को कोई संदेह न रहा | यह सही मार्ग था | वह अपने लक्ष पर था |

सब से पहले उस ने वेदी बनाई | उस ने एक पत्थर खड़ा किया जो उसे परमेश्वर और उस के वचनों की याद दिलाता था |

और थोड़ी दूर दक्षिण में उस ने एक और पत्थर स्मारक के तौर पर रखा |

तुम्हारे अपने कमरे में पत्थर जमा करना कैसा रहेगा ? एक पत्थर तुम्हें परमेश्वर के साथ तुम्हारे अनुभव की याद दिलाने के लिये - उधाहरणत : जब उस ने प्रार्थना का उत्तर दिया या जब उस ने तुम्हारी रक्षा की - तब तुम एक छोटा पत्थर अपनी अलमारी के खाने में रखना | यह पत्थर तुम्हें परमेश्वर की याद दिलायेंगे और उस पर विश्वास जारी रखने के लिये और उस के लिये जीने के लिये तुम्हें प्रोत्साहित करेंगे |

इस के बाद अब्राहम को क्या हुआ उसे अगले ड्रामे मे सुना जा सकता है |


लोग: वर्णनकर्ता, अन्द्रिया, जेक, परमेश्वर की आवाज

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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