STORIES for CHILDREN by Sister Farida

(www.wol-children.net)

Search in "Hindi":

Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 023 (Peter starts anew 8 )

Previous Piece -- Next Piece

नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

23. बहुत अच्छा ८


लड़का: “सुशील को क्या हो गया है ?”

लड़की: “आज वह सच में अलग ही दिखाई दे रहा है |”

लड़का: “वह हमेशा की तरह मजाक नहीं कर रहा |”

लड़की: “और वह कितना शान्त है |”

सुशील बहुत ही उदास दिखाई दे रहा था | उस के पीठ पर एक थैली, जो दिखाई न देती थी परन्तु भारी थी | उस में क्या हो सकता था ? उस ने इस विषय में कभी कुछ न कहा |

विचित्र बात यह है कि जब वह रविवार की शाळा में होता था तब वह विशेषत : आपनी पीठ पर की थैली का भारीपन महसूस करता था | सुशील जानता था कि जब तक वह यह बोझ उठा रहा है, परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकता | गहरे विचार में डूबा हुआ वह अपने घर चला गया | वह अकेले रहना चाहता था और सीधा अपने कमरे में गया |

उस के विचार उसी बोझ के चारों ओर घूम रहे थे, जिसे वह उठाये हुए था :

  • वह वस्तुयें जिन्हें उस ने दुकान से चुराया था,
  • वह पैसे जिन्हें उस ने आपनी माँ के बटवे में से चुपके से निकाल लिये थे,
  • वह झूट और गंदे मज़ाक जिन्हें वह लोगों को प्रभावित करने के लिये बोला करता था |

सुशील ने सोचा कि वह ऐसा करते हुये नहीं रह सकता | पवित्र शास्त्र में की कहानियों के द्वारा वह जानता था कि यीशु हर वस्तु नई बना सकते
हैं | एक नई शुरुआत, जिसे सुशील चाहता था और इसी कारण उस ने कुछ किया जिसे उस ने पहले कभी न किया था : उस ने प्रार्थना की | अत्यन्त ईमान्दारी के साथ उस ने यीशु से बात की और आप को बताया कि हर बात के लिये उसे कितना खेद है |

उस ने ऐसे व्यक्ति से बात की जिसे हम देख नहीं सकते परन्तु वह हमेशा हमारे साथ है और हमारी प्रार्थना सुनता है |

सुशील: “प्रभु यीशु, मैं आप को धन्यवाद देता हूँ कि आप मेरे विषय में हर बात जानते हैं फिर भी आप मुझ से प्रेम करते हैं | कृपया मेरे झूट बोलने, चोरी करने और मेरे बुरे शब्दों के लिये मुझे क्षमा कीजिये | मेरे दिल को साफ कीजिये और मेरे जीवन में आईये और मेरे प्रभु बन जाईये |
आमीन |”

आपनी प्रार्थना के बाद, सुशील को बहुत शान्ति मिली क्योंकि यीशु ऐसी प्रार्थनाओं का तुरन्त उत्तर देते हैं | प्रसन्नता के साथ उस ने कहा :

सुशील: “प्रभु यीशु, मैं आप का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि आप ने मुझे क्षमा किया और अब हमेशा मेरे साथ रहेंगे |”

दूसरों ने भी देखा कि सुशील बदल गया है | उस ने उन्हें इस का कारण बताया यधपि उन में से कुछ लोग उस का मज़ाक करने लगे और उसे समझ न पाये |

क्या तुम्हारी पीठ को भी भरी थैली दबा रही है ?

मैं नहीं जानता कि तुम्हारी पीठ पर की थैली में क्या है परन्तु मैं यह जानता हूँ कि तुम यीशु को सब कुछ बता सकते हो | वही करो जो सुशील ने किया !

अगर तुम ऐसे करोगे तो मुझे तुम्हारी ओर से सुन कर आनंद होगा |


लोग: वर्णन कर्ता, दो बच्चे, सुशील

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

www.WoL-Children.net

Page last modified on July 23, 2018, at 03:44 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)