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21. पाप की शुरुआत थोड़े थोड़े से होती है ६
अहाब राजा अपने महल में टहल रहा था | एक बार फिर उस ने खिडकी की चौखट पर से झाँक कर देखा और दाख की बारी को सराहा |
अहाब: “मुझे यह दाख की बारी प्राप्त करनी चाहिये ! वह मेरे महल के पास है | मैं उसे आश्चर्यजनक बगीचा बना सकता हूँ और उस में पत्ता गोभी भी उगा सकुं गा |”
वह मालिक के पास गया |
अहाब: “नाबोत, मुझे आपनी दाख की बारी बेच दे |”
नाबोत: “यह असंभव है ! ज़मीन का यह टुकड़ा मेरे पुरखों की विरासत है | तुम्हें विरासत में मिली हुई वस्तु बेचने का अधिकार नहीं है यह परमेश्वर का कानून है |”
अलविदा कहे बिना अहाब अपमानित हो कर वहाँ से अपने घर चला गया | उदास होकर वह अपने बिस्तर पर गिर गया |
तुम जो चाहते हो वह वस्तु न मिलने पर क्या तुम उदास होते हो ?
अहाब राजा ने क्रोध में अपना चेहरा दीवार की ओर घुमा लिया |
इज़ेबेल: “तुम्हें क्या हो गया है ?”
जब इज़ेबेल ने वह सब सुना जिस के कारण वह परेशान था तब वह बोली :
इज़ेबेल: “खड़े हो जाओ और मुस्कुराओ | मैं देखुंगी कि तुम जो चाहते हो वह प्राप्त करो |”
रानी ने एक पत्र नगर की समिति को लिखा, उस पर जालसाज़ी से राजा के हस्ताक्षर किए और राजा की अँगूठी से उसे मोहर बंद किया |
नगर की परिषद के सभासद ने यह शब्द पढ़े : एक समारोह आयोजित करो और उस में नाबोत को नेवता दो | तब उस पर मुकदमा दायर करो और कहो : तू ने परमेश्वर और राजा की निंदा की जिस के लिये तुझे मरना चाहिये |
और ऐसे ही हुआ | निसंदेह नाबोत ने नेवता स्विकार किया और शाम के अंत तक वह मारा गया |
यह कितना भयानक है कि एक छोटा सा पाप कितना भयानक बन सकता है ?
देखना चाहना ईर्ष्या घमंड अपमानित होना झूट और फिर हत्या !
नाबोत की मृत्यु का समाचार बहुत जल्द फैल गया | तब अहाब राजा दाख की बारी को अपनाने के लिये गया | परन्तु यह विचार किए बिना कि परमेश्वर क्या सोचेगा, वह यह काम करने गया | अचानक एलिय्याह उस के सामने खड़ा हो गया | अहाब भूत के समान सफ़ेद पड़ गया |
अहाब: “ऐ मेरे शत्रु, अब तू ने मुझे ढूँड निकाला ?”
एलिय्याह: “हाँ; मैं ने तुझे ढूँड लिया | तू ने स्वय : अपने आप को पाप को बेच दिया और उसे अपने दिल में बढ़ने दिया | परमेश्वर पाप से घ्रणा करता है और वह तेरा और तेरे परिवार का नाश करने वाला है |”
राजा ने इन शब्दों पर बारंबार विचार किया | उस ने जो कुछ किया उस के लिये पश्चताप कर रहा था | और परमेश्वर ने उस के दिल में झाँका और उस पर दया की |
जब हम अपने पापों को प्रभु यीशु के सामने स्वीकार करते हैं, तब आप वफादार होने के कारण हमारे पाप भी क्षमा करते हैं |
लोग: वर्णन कर्ता, अहाब, इज़ेबेल, नाबोत, एलिय्याह
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