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133. जीवन का विद्यालय १
जीवन के विद्यालय में आप का स्वागत है ! यह बड़ी बात है जो तुम हमारे साथ हो |
लड़की: “हमारे संग हो जाओ | मजा आएगा |”
(सड़क पर के शोर की आवाज; टायर्स की किरकिर, मोटरों के होर्न की आवाज, साइकल की घंटियाँ बजना इत्यादि)
लड़का और लड़की बारी बारी से: “मार्ग के दाहिनी ओर रहो - गाडी खड़ी न कीजिये - टेढे मोड - सफ़ेद और लाल तीर - मैं कहाँ हूँ ? मुझे कहाँ जाना होगा ? रुक जाओ - सावधान - फिसलनयुक्त बर्फ |”
इतने सारे चिन्ह - और वह भी विविद्ध | मार्ग के बाजू के यातायात संकेत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं | वह तुम्हें रुकाने या क्रोधित करने के लिये नहीं होते बल्कि तुम्हारी रक्षा करने के लिये और तुम्हें अपने नियोजित स्थान पर पहुँचाने के लिये होते हैं |
पवित्र शास्त्र में परमेश्वर ने तुम्हारे जीवन की यात्रा के लिये “संकेत” रखे हैं | वह हमें अपनी आज्ञाओं से क्रोधित करना नहीं चाहता परन्तु हमारे जीवन की रक्षा करना चाहता है | जो कोई उस के नियमों के अनुसार चलता है वह अपनी यात्रा के अन्तिम चरण तक पहुँच जायेगा |
लड़की: “जीवन के विद्यालय में हमारे साथी बनो “
लड़का: “मुझे विश्वास है कि तुम परिक्षा में पास हो जाओगे |”
जीवन की यात्रा उत्तेजक होती है |
उस के दो मार्ग हैं परन्तु हम उन में से कोई एक ही चुन सकते हैं | पवित्र शास्त्र, मार्ग के नक़्शे के समान है | वह हमें बताता है कि हम किस मार्ग पर जा रहे हैं |
पाठक: “सकरे फाटक से प्रवेश करो कयोंकि जोफाटक चौड़ा है वह विनाश को पहुंचाता है और बहुत से हैं जो उस से प्रवेश करते हैं | परन्तु सकरा फाटक और सरल मार्ग अनन्त जीवन को पहुंचाते है और थोड़े हैं जो उस मार्ग से प्रवेश करते हैं |”
पवित्र शास्त्र मार्गदर्शक स्तंभ के समान है | वह हमें बताता है कि यीशु मसीह केवल एक मात्र मार्ग हैं जो परमेश्वर की ओर ले जाता है |
पाठक: “यीशु कहते हैं : मार्ग और सत्य और जीवन मैं हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता |” (यूहन्ना १४:६)
जब हमारे जीवन की यात्रा हमें समास्याओं में से ले जाती है जैसे हम किसी अंधकारपूर्ण सुरंग में से जा रहे हैं और बाहर जाने का मार्ग देख नहीं सकते, तब हम पवित्र शास्त्र में देखें कयोंकि वह ज्योति समान है, एक अच्छी ध्यान आकर्षित करने वाली ज्योति |
और प्रभु यीशु हमारे जीवन के विद्यालय में सब से अच्छे शिक्षक हैं |
आप जीवन में तुम्हारे साथ जाना चाहते हैं | तुम नीचे हो या बाहर या तुम्हारा अपघात हुआ हो, आप तुम्हारे साथ होंगे और तुम्हें अकेला न
छोड़ेंगे | आप ने यह वचन दिया है |
पाठक: “और संकट के दिन मुझे पुकार, मैं तुझे छुडाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा |” (भजन संहिता ५०:१५)
प्रार्थना सब से अच्छा आपात्कालीन विकल्प है | उसे आजमा कर देखो !
तुम्हारे जीवन की यात्रा के लिये मेरी शुभिच्छा |
रुक जाओ ! अगले ड्रामे में यात्रा जारी रहेगी |
लोग: वर्णनकर्ता, लड़की, लड़का, पाठक
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