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83. दानिय्येल की परिक्षा १
महान राजा नबुकेदनेस्सर ने यरूशलेम नगर को घेर लिया और उस पर विजय पा ली | यहूदियों के लिये यह परिस्थिति अत्यन्त गंभीर थी |
परमेश्वर ने यहोयाकीम राजा को नबुकेदनेस्सर राजा को सौंप दिया | उस ने उन झूटे देवताओं की आराधना की थी जो इस समय उस की सहायता न कर सके | शत्रुओं ने नगर के खजाने को लूट लिया और उन्हों ने मन्दिर में से भी बहुत कुछ चुरा लिया |
नबुकेदनेस्सर राजा: “अशपनज, मैं चाहता हूँ की इस्राएल के नौजवान लोग मेरी सेवा करें | ऐसे अत्यन्त शक्तिशाली, फुर्तीले लोगों को लेना जो नौजवान और सुंदर हों |”
बंदी ६०० मील तक कदम से कदम मिलाते हुए चले गये | उन में दानिय्येल और उस के मित्र भी थे | अंत में वे महान नगर बेबीलोन पहुँचे | वे राजा के महल में क्या पायेंगे ? उन्हें हर आज्ञा का पालन करना था और उन्हें कोई भी अधिकार न था | परन्तु दानिय्येल और उस के मित्रों ने परमेश्वर के आज्ञाकारी रहने का दृढ़ निश्चय किया |
क्या यह तुम्हारी भी धारना है ? क्या तुम स्कूल और अपने घर में हमेशा उस के आज्ञाकारी रहते हो ? तुम्हारे मित्रों के साथ और फुटबॉल के मैदान पर भी ? परमेश्वर हमारी आज्ञाकारी के योग्य है !
दानिय्येल और उस के मित्रों को बहुत जल्दी अपनी पहली परिक्षा का सामना करना पड़ा | राजा ने बंदियों के लिये तीन साल तक शिक्षा देने का आदेश दिया | उन्हें बेबीलोन की भाषा सीखनी थी और इस के साथ कई और विषय भी सीखने थे | राजा की मेज पर से जो भी उन्हें परोसा जाता वह उन्हें खाना था |
दानिय्येल: “हनन्याह : यह असंभव है कि हम यह भोजन खायें क्योंकी यह परमेश्वर ने बताये हुए भोजन के नियमों के अनुसार नहीं है |”
हनन्याह: “क्या तुम सोचते हो कि हमें खाने के लिये कुछ और प्राप्त हो ?”
दानिय्येल: “मुझे क्षमा करो, परन्तु हम राजा का भेजा हुआ भोजन नहीं खा सकते |”
अशपनज: “राजा ने तुम्हारे लिये ऐसा आदेश दिया है | यदि मैं तुम्हारे लिये दूसरे प्रकार का भोजन दूँ और तुम दूसरों से खराब दिखाई देने लगो तो राजा मेरा सर कटवायेगा |”
दानिय्येल: “कृपया दस दिन तक हमें यह प्रयोग करने दीजिये | हमें खाने को सब्जियाँ और पीने को पानी दीजिये ओर तब हमारी दूसरों से तुलना कीजिये और फिर यह निर्णय लीजिये कि हम यह भोजन लेते रहें या नहीं |”
खोजों का प्रधान राजी हो गया | और पवित्र शास्त्र में इस का परिणाम इस तरह लिखा हुआ है :
“दस दिन के बाद दानिय्येल और उस के मित्र दूसरे सभी लोगों से अच्छे दिखाई दिये |”
इस लिये खोजों के प्रधान ने उन्हें सब्जियाँ खाना और पानी पीना जारी रखने दिया |
दानिय्येल शक्तिशाली रहा | वह परमेश्वर का आज्ञाकारी रहा और उस के लिये उसे पुरस्कार मिला | तीन साल के बाद, राजा ने बंदियों की परिक्षा ली | और ऐसे हुआ कि दानिय्येल और उस के मित्र उन सब से बहुत अच्छे रहे !
नबुकेदनेस्सर राजा: “यह नौजवान पुरुष मेरे राज्य के सब शिक्षकों से दस गुना अधिक चतुर हैं |
मैं चाहता हूँ कि वे मेरी सेवा करें |”
परन्तु इस के तुरन्त बाद उन के प्राण खतरे में पड़ गये |
इस विषय में मैं तुम्हें अगले ड्रामे में बताऊंगा |
लोग: वर्णनकर्ता, नबुकेदनेस्सर, दानिय्येल, हनन्याह, अशपेनाज
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