STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
151. गधे के सर महंगे होते हैं १क्या तुम सामरिया नगर की कल्पना कर सकते हो जो एक पहाड़ पर बसा हुआ नगर है और अच्छी तरह से सुरक्षित भी है ? जब ईस्राएल का विभाजन हुआ तब यह नगर उत्तरी राज्य की राजधानी था | और इस विशेष नगर पर शत्रु ने घेराबंदी की | सीरिया के लोग उसे जीतना चाहते थे परन्तु उन्हों ने उसे हथियारों से जीतना नहीं चाह | उन्हों ने उस की घेराबंदी की | नगर के चारों ओर उन्हों ने अपने तम्बू गाढ़ दिये और नगर के फाटकों पर दृष्टि रखी | तब से नगर वासी केवल बुरा समाचार ही सुनते रहे | धान्य की मात्र बहुत कम थी | हर वस्तु बिक चुकी थी ! हर गदहे और खराब सामान के मूल्य १६० डॉलर थे | भूके बच्चे रोते थे और सड़कों पर खाना ढूंडते थे | देश अपने अन्तिम चरनों में था और राजा की परस्थिति भी वैसी ही थी | वह एलीशा को दोशी ठहरा कर परमेश्वर के इस संदेशवाहक की हत्या करना चाहता था | एक अधिकारी उस के साथ था | एलीशा ने उन्हें आते हुए देखा | एलीशा: “राजा, परमेश्वर की सुनो ! उस ने वचन दिया है कि कल खाने के लिये भोजन होगा और वह भी सस्ता !” उस अधिकारी ने अपमानजनक उत्तर दिया | अधिकारी: “यह असंभव है ! क्या तू सोचता है कि परमेश्वर आस्मान में खिडकी खोलेगा और नीचे हमारे लिये भोजन भेज देगा ?” एलीशा: “तुम देखोगे कि ऐसा ही होगा परन्तु दंड के तौर पर तुम्हें उस में से कुछ भी खाने को नहीं मिलेगा |” यह परमेश्वर की ओर से अच्छा समाचार था परन्तु किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया | आव्यशकता अत्यधिक थी | परन्तु वह उन चार लोगों के लिये बहुत बड़ी अधिक थी जो नगर के फाटक के बाहर बैठे हुए थे | वह फटे हुए कपड़े पहने हुए थे, भूक के मारे और कुष्ट से पीड़ित थे | इस भयानक चमड़ी की बीमारी ने उन्हें नगर से बाहर निकाल दिया था | क्या नगर बहुत जल्दी उन के मरने का समाचार सुनेगा ? निराश हो कर वह दूर तक देखते रहे | अचानक उन में से एक ने मौन तोडा | कुष्ट रोगी: “मृत्यु हर तरफ मंडरा रही है | यदि हम यहाँ रहे तो मर जायेंगे ! यदि हम नगर में जायें तो भी मर जायेंगे | यदि हम शत्रु के पास जायें, संभव है ... शायद वे हमें जीने देंगे और यदि वह हमें मार डालते हैं, तब हम यहाँ कि बजाय वहाँ मर जायेंगे | आशा की एक किरण उन के दिल में प्रवेश कर गई | जब सूरज डूब गया, तब उन्हों ने शत्रु की छावनी में झांक कर देखा | वहाँ बहुत ही तनाव था ! वह पहले तम्बू तक पहुँच गये | सावधानी से ! ख़ामोश रहो ! फिर क्या हुआ वह मैं अगले ड्रामे में बताऊंगा | लोग: वर्णनकर्ता, एलीशा, कुष्ट रोगी, अधिकारी © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |