STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
|
Home عربي |
Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 059 (Tears on Christmas 1) This page in: -- Albanian -- Arabic? -- Armenian -- Aymara -- Azeri -- Bengali -- Bulgarian -- Cebuano -- Chinese -- English -- Farsi -- French -- Fulfulde -- German -- Greek -- Guarani -- Hebrew -- HINDI -- Indonesian -- Italian -- Japanese -- Kazakh -- Korean -- Kyrgyz -- Macedonian -- Malayalam? -- Platt (Low German) -- Portuguese -- Punjabi -- Quechua -- Romanian -- Russian -- Serbian -- Slovene -- Spanish-AM -- Spanish-ES -- Swedish -- Swiss German? -- Tamil -- Turkish -- Ukrainian -- Urdu -- Uzbek
नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
59. क्रिसमस के दिन आँसू १मसीही बोर्डिंग स्कूल में हर कोई छुट्टी पर जाने के लिये तैयार हो रह था | नन्दा आपनी क्रिसमस की छुट्टी की प्रतिक्षा कर रही थी | उस के पिता आ कर उसे ले गये | घर तक का सफर बहुत लंबा था | इस समय में नन्दा बहुत सी बातें सोच रही थी | नन्दा: “पिताजी, क्या मन्दा मुझे पहचानेगी ? हसन कैसा है ?” नन्दा अपने भाई बहिनों, अपनी बिल्ली और बकरियों को देख कर खुश थी | जब वे अपने गाँव में पहुंचे तब खिड़कियों में मोम बत्तियों की रौशनी देखी | बाहर जुगनू उड़ रहे थे | और जो लड़कियां कुंए में से पानी निकाल रही थीं, उन्हों ने पुकार कर कहा : लड़की: “हेलो, नन्दा ! हमें खुशी है कि तुम वापस आ गईं | तुम कैसी हो ? क्या तुम हमें अपने स्कूल के विषय में बताओगी ?” नन्दा: “हाँ, परन्तु कल | अभी बहुत देर हो गई है | तुम मेरे घर आ जाओ |” उस की माँ ने नन्दा का मन पसंद भोजन पकाया था | कहने को बहुत कुछ था | यदि नन्दा बहुत समय से जा चुकी थी फिर भी ऐसे लगता था जैसे वह हमेशा के वातावरण में है | परन्तु एक बात थी जो अलग थी | उस ने उस के विषय में उस समय सोचा जब वह आपनी चटाई पर सोने के लिये लेट गई | वह क्रिसमस का दिन था | गाँव में वह पर्व कोई नहीं मनाता | नन्दा अकेली लड़की थी जो यीशु से प्रेम रखती थी | वह यह पर्व मनाना चाहती थी परन्तु यह नहीं जानती थी कि यह कैसे किया जाये | नन्दा: “मुझे एक कल्पना सूझी है | कल सुबह मैं जल्दी उठूंगी और अपने पवित्र शास्त्र को पढूंगी |” और उस ने ऐसा ही किया | वह घर से बाहर निकल पड़ी और एक पहाड़ी पर चढ़ गई | वहाँ वह अकेली बैठी और मरियम, यूसुफ और बालक यीशु के विषय में पढ़ा | नन्दा: “यीशु आये परन्तु आप के अपने लोगों ने आप को स्विकार नहीं किया | प्रभु यीशु के लिये, उन दिनों में बैतलहम के दरवाजे बंद किए गये और आज दिल के दरवाजे बंद हैं |” जब नन्दा दस साल की थी तब उस ने यीशु से अपने जीवन में आने की बिन्ती की थि और आप को अपना प्रभु और उद्धारकर्ता स्विकार किया था | हसन: ”नन्दा, मैं तुम्हें ही ढूंड रहा था | तुम क्या पढ़ रही हो ?” यदि वह अपने भाई को पवित्र शास्त्र की कोई कहानी सुनाती तो वह उस की चुगली तो न करता ? उस स्थिति में उस के लिये इस का परिणाम भयानक होता | परन्तु उस ने किसी न किसी तरह से एक कहानी सुना ही दी | सारी दुनिया में क्रिसमस के समय घंटे बज रहे थे | और उसी समय एक छोटा लड़का पहली बार यीशु के विषय में कहानी सुन रहा था | क्रिसमस के दिन की शुरुआत अत्यन्त सुन्दर रीति से हुई परन्तु दिन के अंत में आँसू होंगे | क्यों ? यह मैं तुम्हें अगले ड्रामे में बताऊंगा | लोग: वर्णनकर्ता, लड़की, नन्दा ,हसन © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |