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63. सॅामी का संशोधन
न्यू यॉर्क की सड़कों पर ठंडी हवा चल रही थी | स्यामी ने आपनी टोपी अपने कानों पर खींच ली | हर रोज शाम को वह अपने पिता के साथ घूमने जाया करता था | मोटर कारें उन के पास से गुजरती थीं और उन के ब्रेक की आवाज सुनाई देती थी और महिलायें सामान से भरी हुई थैलियाँ ले कर बस पकड़ने को जा रही थीं | हर व्यक्ति जल्दी में था |
स्यामी: “पिताजी, उस का क्या अर्थ हुआ ?”
उस के पिता ने जो गहरे विचार में डूबे हुए थे, पुछा :
पिता: “तुम्हारा क्या अर्थ है ?”
स्यामी: “वह तारा, पिताजी, तारा ! क्या तुम उसे नहीं देख रहे ?“
उत्साह के साथ उस ने एक घर की खिडकी की ओर इशारा किया | वहाँ एक मोम बत्ती जल रही थी जिस की ज्योति अँधेरे में तारे के समान चमक रही थी |
पिता: ”वे लोग अपने पुत्र के लिये अपनी खिडकी में मोम बत्ती रखते हैं | उन का पुत्र बहुत दूर युद्ध में भाग ले रहा है और हमारे शत्रुओं के विरुद्ध लड़ रहा है | यदि कभी उसे गोली लग जाये तब वे उस मोम बत्ती को बुझा देंगे |”
जैसे जैसे वे आगे बढ़ते गये, स्यामी के पिता ने सोचा : मैं आशा करता हूँ कि मुझे कभी हमारे पुत्र के लिये खिडकी में मोम बत्ती रखनी न पड़े |
स्यामी तारों को देखता रहा |
स्यामी: “पिताजी, एक वहाँ है और एक और भी है | देखिये, एक खिडकी में दो मोम बत्तियाँ हैं | हो सकता है इस परिवार के दो पुत्र युद्ध में भाग ले रहे हैं |”
सड़क के अंत में, स्यामी ने अपना सर उठाया और अचानक रुक गया | उस ने अपना दम रोक लिया जैसे कोई ऐसी घट्ना घटी हो जिसे सोचा नहीं जा सकता |
स्यामी: “पिताजी, वहाँ देखिये !”
उस ने शाम का तारा अँधेरे आस्मान में ढूंड निकाला था |
स्यामी: “क्या परमेश्वर का भी कोई पुत्र होता है ? उस ने खिडकी में तारा रखा है |”
पिता: “हाँ, परमेश्वर का एक एकलौता पुत्र है | उस ने उसे इस दुनिया में दुष्ट के विरुद्ध लड़ने के लिये भेजा है | और वह जीत गया ! हथियारों से नहीं, परन्तु प्रेम से | इस के लिये उसे अपने प्राण देने पड़े | परन्तु वह अपने शत्रुओं से भी प्रेम करता है, जिन्हों ने आप को क्रूस पर चढ़ाया | परमेश्वर ने आप को मृतकों में से जिलाया | आप के द्वारा हम परमेश्वर और दूसरे लोगों के साथ शांति पा सकते हैं |
बाद मे स्यामी अक्सर खिड़कियों में के तारों के विषय में सोचता था और उस के विषय में भी सोचता रहा जो दुनिया में अपने प्राण दे कर दुष्ट के विरुद्ध लड़ा |”
यीशु हमारे लिये शांति ले आये | और अब भी भयानक लड़ाईयां हो रही हैं जिन से भय और पीड़ा निर्मान होते हैं | बम और गोलियाँ कई लोगों का जीवन नष्ट कर देती हैं |
परन्तु परमेश्वर की खिडकी में के तारे को बुझाया नहीं जा सकता | न ही उसे मिटाया जा सकता है जो सब मांगने वालों को उद्धार और शांति प्रदान करता है : यानी यीशु मसीह |
लोग: वर्णनकर्ता, पिता, स्यामी
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