Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 028 (The very first Easter)
28. सब से पहला ईस्टर
आज तुम कितनी देर से जाग रहे हो ?
मरियम और उस की सहेलियाँ बहुत जल्दी जाग जाती हैं | परन्तु उन के दिल बहुत उदास थे | काश यीशु जीवित होते ! कुछ दिन पहले आप ने क्रूस पर अपने प्राण दिये | जब कभी उन्हों ने इस घट्ना के विषय में सोचा वे रो पड़ीं |
सूर्योदय के समय वे आप की कबर पर गईं |
सहेली: “मरियम, देखो ! पत्थर हटाया गया है ! और वहाँ, एक स्वर्गदूत !”
स्वर्गदूत: “डरो नहीं ! मैं जानता हूँ कि तुम यीशु को ढूँड रही हो | आप यहाँ नहीं हैं | आप जी उठे हैं |”
आशा बंध गई | निश्चय ही ! यीशु ने उन्हें पहले ही कह दिया था कि आप को मरना होगा और तीन दिन के बाद आप जी उठेंगे | वे यह कैसे भूल गईं ?
स्वर्गदूत: “आओ और वह जगह देखो जहाँ उन्हों ने आप का शव रखा था |”
उन महिलाओं ने कबर में झाँक कर देखा - वह खाली थी !
स्वर्गदूत: ”जाओ और चेलों को बताओ !”
अपने दिल में अत्यन्त आनंद और आश्चर्य के साथ वे कबर छोड़ कर चली गईं | यीशु जीवित हैं ! और रास्ते में आप उन्हें मिले | उन्हों ने आप को देखा | उन्हों ने आप को छुआ | आप ने उन से बातें कीं |
यीशु: “डरो नहीं, जाओ और दूसरों को बताओ !”
और उन्हों ने वैसे ही किया |
मरियम: “यीशु जीवित हैं !”
सहेली: “आप जी उठे !”
मरियम और सहेली: “कबर खाली है !”
(यह वचन पढ़ते समय पुष्ठ भूमि में संगीत बजाइये)
पवित्र शास्त्र में यीशु तुम से कहते हैं : “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ | जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौ भी जीएगा | क्या तू इस बात पर विश्वास करती है ?” (यूहन्ना ११:२५, २६ब)
मैं तुम्हें उस शुभ कामना के साथ अलविदा कहुंगा जिसे मसीही ईस्टर के दिन एक दूसरे को कहते हैं :
“प्रभु जी उठे हैं ! प्रभु जी उठे हैं !”
लोग: वर्णन कर्ता, मरियम, मरियम की सहेली, स्वर्गदूत, यीशु
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