STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
23. बहुत अच्छा ८लड़का: “सुशील को क्या हो गया है ?” लड़की: “आज वह सच में अलग ही दिखाई दे रहा है |” लड़का: “वह हमेशा की तरह मजाक नहीं कर रहा |” लड़की: “और वह कितना शान्त है |” सुशील बहुत ही उदास दिखाई दे रहा था | उस के पीठ पर एक थैली, जो दिखाई न देती थी परन्तु भारी थी | उस में क्या हो सकता था ? उस ने इस विषय में कभी कुछ न कहा | विचित्र बात यह है कि जब वह रविवार की शाळा में होता था तब वह विशेषत : आपनी पीठ पर की थैली का भारीपन महसूस करता था | सुशील जानता था कि जब तक वह यह बोझ उठा रहा है, परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकता | गहरे विचार में डूबा हुआ वह अपने घर चला गया | वह अकेले रहना चाहता था और सीधा अपने कमरे में गया | उस के विचार उसी बोझ के चारों ओर घूम रहे थे, जिसे वह उठाये हुए था :
सुशील ने सोचा कि वह ऐसा करते हुये नहीं रह सकता | पवित्र शास्त्र में की कहानियों के द्वारा वह जानता था कि यीशु हर वस्तु नई बना सकते उस ने ऐसे व्यक्ति से बात की जिसे हम देख नहीं सकते परन्तु वह हमेशा हमारे साथ है और हमारी प्रार्थना सुनता है | सुशील: “प्रभु यीशु, मैं आप को धन्यवाद देता हूँ कि आप मेरे विषय में हर बात जानते हैं फिर भी आप मुझ से प्रेम करते हैं | कृपया मेरे झूट बोलने, चोरी करने और मेरे बुरे शब्दों के लिये मुझे क्षमा कीजिये | मेरे दिल को साफ कीजिये और मेरे जीवन में आईये और मेरे प्रभु बन जाईये | आपनी प्रार्थना के बाद, सुशील को बहुत शान्ति मिली क्योंकि यीशु ऐसी प्रार्थनाओं का तुरन्त उत्तर देते हैं | प्रसन्नता के साथ उस ने कहा : सुशील: “प्रभु यीशु, मैं आप का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि आप ने मुझे क्षमा किया और अब हमेशा मेरे साथ रहेंगे |” दूसरों ने भी देखा कि सुशील बदल गया है | उस ने उन्हें इस का कारण बताया यधपि उन में से कुछ लोग उस का मज़ाक करने लगे और उसे समझ न पाये | क्या तुम्हारी पीठ को भी भरी थैली दबा रही है ? मैं नहीं जानता कि तुम्हारी पीठ पर की थैली में क्या है परन्तु मैं यह जानता हूँ कि तुम यीशु को सब कुछ बता सकते हो | वही करो जो सुशील ने किया ! अगर तुम ऐसे करोगे तो मुझे तुम्हारी ओर से सुन कर आनंद होगा | लोग: वर्णन कर्ता, दो बच्चे, सुशील © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |