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23. बहुत अच्छा ८
लड़का: “सुशील को क्या हो गया है ?”
लड़की: “आज वह सच में अलग ही दिखाई दे रहा है |”
लड़का: “वह हमेशा की तरह मजाक नहीं कर रहा |”
लड़की: “और वह कितना शान्त है |”
सुशील बहुत ही उदास दिखाई दे रहा था | उस के पीठ पर एक थैली, जो दिखाई न देती थी परन्तु भारी थी | उस में क्या हो सकता था ? उस ने इस विषय में कभी कुछ न कहा |
विचित्र बात यह है कि जब वह रविवार की शाळा में होता था तब वह विशेषत : आपनी पीठ पर की थैली का भारीपन महसूस करता था | सुशील जानता था कि जब तक वह यह बोझ उठा रहा है, परमेश्वर को प्रसन्न नहीं कर सकता | गहरे विचार में डूबा हुआ वह अपने घर चला गया | वह अकेले रहना चाहता था और सीधा अपने कमरे में गया |
उस के विचार उसी बोझ के चारों ओर घूम रहे थे, जिसे वह उठाये हुए था :
- वह वस्तुयें जिन्हें उस ने दुकान से चुराया था,
- वह पैसे जिन्हें उस ने आपनी माँ के बटवे में से चुपके से निकाल लिये थे,
- वह झूट और गंदे मज़ाक जिन्हें वह लोगों को प्रभावित करने के लिये बोला करता था |
सुशील ने सोचा कि वह ऐसा करते हुये नहीं रह सकता | पवित्र शास्त्र में की कहानियों के द्वारा वह जानता था कि यीशु हर वस्तु नई बना सकते
हैं | एक नई शुरुआत, जिसे सुशील चाहता था और इसी कारण उस ने कुछ किया जिसे उस ने पहले कभी न किया था : उस ने प्रार्थना की | अत्यन्त ईमान्दारी के साथ उस ने यीशु से बात की और आप को बताया कि हर बात के लिये उसे कितना खेद है |
उस ने ऐसे व्यक्ति से बात की जिसे हम देख नहीं सकते परन्तु वह हमेशा हमारे साथ है और हमारी प्रार्थना सुनता है |
सुशील: “प्रभु यीशु, मैं आप को धन्यवाद देता हूँ कि आप मेरे विषय में हर बात जानते हैं फिर भी आप मुझ से प्रेम करते हैं | कृपया मेरे झूट बोलने, चोरी करने और मेरे बुरे शब्दों के लिये मुझे क्षमा कीजिये | मेरे दिल को साफ कीजिये और मेरे जीवन में आईये और मेरे प्रभु बन जाईये |
आमीन |”
आपनी प्रार्थना के बाद, सुशील को बहुत शान्ति मिली क्योंकि यीशु ऐसी प्रार्थनाओं का तुरन्त उत्तर देते हैं | प्रसन्नता के साथ उस ने कहा :
सुशील: “प्रभु यीशु, मैं आप का धन्यवाद करता हूँ क्योंकि आप ने मुझे क्षमा किया और अब हमेशा मेरे साथ रहेंगे |”
दूसरों ने भी देखा कि सुशील बदल गया है | उस ने उन्हें इस का कारण बताया यधपि उन में से कुछ लोग उस का मज़ाक करने लगे और उसे समझ न पाये |
क्या तुम्हारी पीठ को भी भरी थैली दबा रही है ?
मैं नहीं जानता कि तुम्हारी पीठ पर की थैली में क्या है परन्तु मैं यह जानता हूँ कि तुम यीशु को सब कुछ बता सकते हो | वही करो जो सुशील ने किया !
अगर तुम ऐसे करोगे तो मुझे तुम्हारी ओर से सुन कर आनंद होगा |
लोग: वर्णन कर्ता, दो बच्चे, सुशील
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