STORIES for CHILDREN by Sister Farida

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

109. चोर कौन है


स्मिथ परिवार भोजन कर रहा था | लिसा और फेलिक्स स्कूल से अभी अभी लौटे थे | हर एक बहुत कुछ कहना चाहता था परन्तु उन की माँ आज बहुत गंभीर थीं | अचानक उन्हों ने एक असाधारण प्रश्न पूछा |

माँ: “आश्चर्य की बात है, परन्तु कल सवेरे तक मेरे बटवे में २५ डॉलर से अधिक रकम थी | आज मैं किराणा की दुकान पर पैसे देना चाहती थी परन्तु मैं ऐसा कर न सकी क्योंकी पैसे गायब हो गये थे | क्या तुम में से किसी ने वह पैसे लिये थे ? फेलिक्स ? या तुम ने लिसा ?”

फेलिक्स: “परन्तु माँ, हम चोर नहीं हैं |”

लिसा: “निश्चय ही हम ने तुम्हारे पैसे नहीं लिये |”

माँ: “अद्भुत बात है | तब तो मुझे आश्चर्य हो रहा है कि वे पैसे कहाँ गये |”

जब उन्हों ने मेज साफ की तब फेलिक्स और लिसा अपना होमवर्क करने के लिये गये | परन्तु लिसा का अन्त:करण उसे मलामत कर रहा था | उसे बहुत अस्वस्थ भी लग रहा था क्योंकी उसी ने अपनी माँ के बटवे में से पैसे लिये थे |

लिसा: “क्या ही अच्छा होता जो मैं ने वे पैसे चुराये न होते | परन्तु माँ ने मुझे कान के नये बुनदे खरीदने के लिये पैसे क्यों नहीं दिये ? सच तो यह है कि मैं ने पैसे चुराये नहीं थे, केवल उधार लिये थे | किसी दिन मैं वह पैसे उन्हें वापस लौटा दुंगी |”

परन्तु इन विचारों से उस के अन्त:करण को शान्ति न मिली |

कुछ ही समय पहले बच्चों के मिलाप के समय उन्हों ने चोरी के बारे में बातचीत की थी | पवित्र शास्त्र कहता है कि चोरी करना पाप है | और पाप एक दीवार के समान होता है | वह अलग करता है | लिसा उसे स्पष्ट रूप से महसूस कर रही थी | जब से उस ने पैसे लिये थे, उस के और उस की माँ के बीच में एक दीवार खड़ी हो गई थी | और वह दीवार उस के और यीशु के बीच में भी खड़ी हो गई थी |

लिसा अब और बहाने न बना सकी | और इस कारण कि उस ने दोपहर के भोजन के समय झूट भी बोला था, मामला और भी गंभीर हो गया था | उस पूरे दिन उस के दिल में कोई खुशी न थी और जो कान के बुनदे उस ने अपने गद्दे के नीचे छिपाये थे उन से भी वह प्रसन्न न थी | उस रात जब वह अपने बिस्तर पर लेट गई तब रोने लगी |

माँ: “लिसा, क्या हुआ ?”

लिसा: “मैं ने तुम्हारे पैसे चुराये थे | और अब आप निश्चय ही मुझ से प्रेम नहीं करोगी |”

माँ: “तुम्हारे लिये ऐसा करना ठीक नहीं था | परन्तु यह ठीक है कि तुम ने मुझे यह बताने का साहस किया | मैं तुम्हें क्षमा करती हूँ | तुम वह २५ डॉलर अपने अलाऊंस में से चुका सकती हो | क्या तुम यीशु से भी क्षमा मांगना चाहोगी ?”

लिसा: “जी हाँ | प्रभु यीशु, मुझे खेद है कि मैं ने पैसे चुराये | कृपया मुझे क्षमा कीजिये | मुझे क्षमा करने के लिये धन्यवाद |”

लिसा के कन्धों पर से बहुत बड़ा बोझ गिर गया | वह फिर से खुश रहने लगी और सब से बढ़ कर यह कि : माँ और प्रभु यीशु अब भी उस से प्रेम करते हैं |


लोग: वर्णनकर्ता, माँ, लिसा, फेलिक्स

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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