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92. आदम खोर सिंह ४
साहिब ग्रब: “रिंगु, क्या हुआ ? तुम इतने उदास क्यों हो ?”
रिंगु: “साहिब, हम एक बाघ का शिकार करने जा रहे हैं | एक आदमखोर बाघ हमारे गाँव के चारों ओर घूमता रहता है |”
साहिब ग्रब: “और तुम उन के साथ जा रहे हो ?”
रिंगु: “हाँ ! यदि वह मुझ पर हमला करे या दुष्ट आत्मायें आ जायें तो क्या होगा ?”
साहिब ग्रब: “एक व्यक्ति है जो तुम्हारी रक्षा करेगा | वह शक्तिशाली है और सब कुछ कर सकता है | वह दुष्ट आत्माओं से भी अधिक शक्तिशाली है | यीशु ! पवित्र शास्त्र में लिखा है कि आप हमें दुष्ट आत्माओं के प्रभाव से मुक्त करने के लिये आये |”
रिंगु: “क्या यीशु उन से अधिक शक्तिशाली हैं ?”
साहिब ग्रब: “हाँ, बहुत ज्यादा शक्तिशाली |”
रिंगु: “मैं यीशु पर विश्वास करना चाहता हूँ, ठीक वैसे ही जैसे तुम करते हो |”
रिंगु को यह स्पष्ट हो गया कि उसे यीशु की आव्यशकता है | उस ने प्रार्थना की और आप को अपने जीवन में बुलाया | उस ने दिखाई न देने वाले परमेश्वर से बात की और उसे निश्चित विश्वास था कि यीशु ने उस की प्रार्थना सुनी थी |
साहिब ग्रब: “रिंगु, तुम हमेशा यीशु से बात कर सकते हो और अपनी सहायता करने के लिये आप से बिन्ती कर सकते हो, बाघ के शिकार के समय भी |”
कुछ घंटों के बाद जाने का समय आ गया | लोगों ने अपने अपने हथयार लिये और रिंगु ने अपनी फ्लैश लाईट ले ली | चुपके से वे पीने के पानी के कुंड के पास के एक पुराने पेड़ पर चढ़ गये | उन्हों ने उस विभाग को देखा और तनावग्रस्त हो गये | रिंगु ने मन ही मन में प्रार्थना की |
रिंगु: “प्रभु यीशु, इस से पहले कि वह बाघ और लोगों को मार डाले, खुद उसे मार डालने में हमारी सहायता कीजिये | क्या आप वहाँ देख रहे हैं ? वहाँ कुछ हिल रहा है |”
रिंगु ने अपने पिता का हाथ पकड़ा | वह मुश्किल से साँस ले पा रहा था | बाघ उस मरे हुए सांड तक पहुँच गया जिसे लोगों ने वहाँ फंदे के तौर पर रखा था और भूक के मारे वह उस पर झपट पड़ा | बाघ ने ऊपर देखा और तब सब कुछ बहुत जल्दी से हो गया | (बन्दुक की गोली चलने की आवाज)
पिता: “कितना भयानक ! मेरा निशाना चूक गया !”
आदमी: “सावधान रहो ! वह आ रहा है ! वह हम पर कूदे गा !”
पिता: “रिंगु, उस की आँखों पर प्रकाश डालो | उस से उसे अन्धा कर दो |”
रिंगु: “सहायता, फ्लैश लाईट बहुत कमजोर है | प्रभु यीशु मैं क्या करूं ?”
अपनी पूरी शक्ति से रिंगु ने अपनी फलैश लाईट ज़मीन पर फेंकी | बाघ ने प्रकाश की ओर छलांग लगाई | बन्दुक के चलने की आवाज आई |
बाघ ने एक बार और हवा में छलांग लगाई और फिर जख्मी हो कर ऊंची घास में इधर उधर लोटता रहा | रिंगु के पिता ने अपनी बन्दुक में गोली भर दी और उस का घोडा दबाया | (बन्दुक से गोली चलने की आवाज) , और वह खतरनाक जानवर जमीन पर मरा हुआ पड़ा था |
हर एक ने चैन की साँस ली और रिंगु ने चुपके से प्रार्थना की |
रिंगु: “परमेश्वर, मैं तेरा बहुत धन्यवाद करता हूँ | तू ने हमारी सहायता की !”
परमेश्वर किसी को त्यागता नहीं करता | तुम ने उस के साथ क्या अनुभव किया है ? तुम मुझे लिख कर बता सकते हो कि उस ने तुम्हारी प्रार्थना का क्या उत्तर दिया |
लोग: वर्णनकर्ता, रिंगु, साहिब ग्रब, पिता, आदमी
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