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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 163 (The secret of Wilden Woods 1)

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

163. विल्डन वूड्स का रहस्य १


रुथ, आँटी मारग्रेट से नाराज थी | केवल इस लिये कि उस ने दुरव्यवहार किया था और उस का दंड यह था कि वह रात का भोजन लिये बिना सो जाये |

फ़िलिप चुपके से उस के कमरे में आ गया |

फ़िलिप: “रुथ, यह तुम्हारे लिये है | मैं ने चुपके से इसे अपने पाकिट में छिपा लिया था |”

रुथ बहुत भूकी थी और उस ने उस सेंडविच का एक टुकड़ा चबा कर खाया |

रुथ: (भरे हुए मुँह के साथ) “फ़िलिप, मैं अच्छी बनना चाहती हूँ | मैं क्यों नहीं बन सकती ?”

फ़िलिप: “यह मैं नहीं जानता | तुम्हें चाहिये कि परेशान न होने का प्रयत्न करो और तब तुम कभी ऐसी घ्रणित बातें नहीं करोगी | यह आँटी मारग्रेट की कृपा है जो उन्हों ने हमें यहाँ आने दिया कयोंकि हमारे माता पिता भारत में मिशनरी बनने के लिये चले गये |”

रुथ ने ठंडी साँस ली और आधी सेंडविच अपने मुँह में ठोस ली |

अचानक उन्हें आँटी मारग्रेट के पदचाप सुनाई दिये |

फ़िलिप अपने कमरे में भाग गया और अपने बिस्तर पर बाहर पहने हुए कपड़ों में ही लेट गया |

आँटी मारग्रेट: “गुड नाईट फ़िलिप, गुड नाईट रुथ |”

फ़िलिप: “गुड नाईट, आँटी मारग्रेट |”

रुथ ने ऐसे जताया जैसे वह सो रही हो |

दूसरे दिन सवेरे फ़िलिप ने उन की छुट्टियों की योजना बनाई |

फ़िलिप: “हम विल्डन वूड्स में वस्तुयें खोज निकालेंगे | हो सकता है कि पक्षीयों जल धारा के पास आज बच्चे निकाले हों | हम एक झोपडी खड़ी करेंगे, जो एक सच्चा सृष्टि अनुसन्धान केन्द्र होगा |”

रुथ उत्तेजित थी |

दोनों बच्चे उस मार्ग से दौड़ते हुए गये जो जंगल को जाता है |

रुथ निश्चल खड़ी हो गई और श्री तन्नेर की भेड़ों को देखती रही | एम् छोटे मेमने ने उस के पास आकर उस का हाथ चाटा | उस के माता पिता नहीं थे और कभी कभी वह भाग जाता था |

फ़िलिप: “रूथ, चलो, हमारे पास अधिक समय नहीं है |

उन्हें अपनी झोपडी के लिये सब से च्छी जगह मिली | रुथ ने टहनियाँ जमा कीं और फ़िलिप ने उन से झोपडी बनाई |

वे हर दिन अपने गुप्त स्थान पर आते थे |

एक बार, रुथ को घर पर रह कर धुलाई के कपड़े सुखाने पड़े | उसे यह काम बिल्कुल पसन्द नहीं था | क्रोध में उस ने साफ कपड़े मिट्टी में गिरने दिये |

आँटी मारग्रेट: “क्या तुम थोड़ी और सावधानी से काम न ले सकती थीं ? अपने कामों के लिये खेद तो भी प्रगट करो |”

रुथ: “परन्तु मुझे खेद नहीं है | आँटी मारग्रेट, आप बहुत कुटील हैं |”

आँटी मारग्रेट: “रुथ, मैं ने बहुत दिनों से इस विषय में सोचा है | मैं तुम्हें किसी बोर्डिंग स्कुल में भेज दुंगी |”

रुथ: “तब तो मैं भाग जाउंगी |” (दरवाज़े की जोर से बंद होने की आवाज)

रुथ क्रोध में भाग गई | वह बहुत दूर चली गई | परन्तु कहाँ ? उसे स्वय : इस का पता नहीं था कि वह कहाँ है | परन्तु आँटी मारग्रेट के शब्द उस का पीछा कर रहे थे |

(गूंजते हुये परन्तु धीमी आवाज में) : ‘मैं तुम्हें किसी बोर्डिंग स्कुल में भेज दुंगी | तब तो मैं भाग जाउंगी | मैं तुम्हें किसी बोर्डिंग स्कुल में भेज
दुंगी | तब तो मैं भाग जाउंगी’…

अगले ड्रामे में तुम सुनोगे कि इस भागने के साथ और क्या होता है |


लोग: वर्णनकर्ता, फ़िलिप, रुथ, आँटी मारग्रेट

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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