STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
134. रुक जाओ २लड़की: “जीवन का विद्यालय भाग १ | आज हम रुक जाओ चिन्ह पर विचार करेंगे !” (यातायात संबन्धी आवाजें) लड़का: “क्या वह पागल है ? उस ने रुक जाओ संकेत के क्षेत्र में भी तेज गति से गाडी चलाई |” लड़की: “हो सकता है वह जल्दी में हो |” पवित्र शास्त्र में भी हम एक व्यक्ति के विषय में पढते हैं जो स्वय : जल्दी में था | वह अनियमित था | सब लोग उस से डरते थे | उस की कल्पनायें हिंसक थीं जिस के कारण निरअपराध लोगों को कष्ट उठाना पड़ता था | शाऊल: “हम हर मसीही का काम तमाम करने जा रहे हैं | हर उस व्यक्ति का जो कहता है कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है | चलो हम दमिश्क चलें |” वह पुरुष और स्त्रियों को गिरिफ्तार करना चाहता था | महा याजक ने उसे ऐसा करने के लिये अनुमति दी थी | (चलने की आवाज) शाऊल और भी तेज गति से चल रहा था परन्तु अचानक उसे रोका गया | आस्मान पर से प्रकाश उस के चारों ओर चमका | यीशु: “शाऊल ! शाऊल ! तू मुझ पर अत्याचार क्यों कर रहा है ?” शाऊल: “प्रभु, तू कौन है ?” यीशु: “मैं यीशु हूँ; जिस पर तू अत्याचार कर रहा है | उठ, दमिश्क में जा और वहाँ तुझे पता चलेगा कि मैं तुझे क्या करने के लिये कहूँगा |” जो लोग शाऊल के साथ थे उन्हों ने भी आवाज सुनी परन्तु उन्हों ने वहाँ किसी को भी नहीं देखा | जब शाऊल खड़ा हो गया, तब वह अन्धा हो गया था | उस के साथी उसे नगर में ले कर गये | यीशु ने शाऊल को रोका | तब उस ने जान लिया कि उस का जीवन गलत मार्ग पर जा रहा था | उस ने सोचा कि वह परमेश्वर का है | परन्तु यह सत्य नहीं था ! यीशु के बिना हम सब जीवन के गलत मार्ग पर चलते रहते हैं | हम उस मार्ग पर होते हैं जो स्वर्ग में नहीं ले जाता | यह खतरनाक मार्ग है | इसी लिये यीशु ने शाऊल को रोका और कई और लोगों को भी रोका | लड़की: “मैं ने कभी ज्योति नहीं देखी |” परमेश्वर के “रुक जाओ चिन्ह”, प्रत्येक व्यक्ति को अलग दिखाई दे सकते हैं | लड़का: “उदहारणत : वह अपघात या बीमारी हो सकता है | तुम्हें वह कैसा दिखाई दिया ?” मेरा “रुक जाओ चिन्ह” प्रवचन था | परमेश्वर लोगों को भी दूसरों के लिये “रुक जाओ चिन्ह” के समान प्रयोग में लाता है | लड़की: “और फिर शाऊल को क्या हुआ ?” उस ने स्विकार किया कि वह गलत मार्ग पर था और फिर उस ने प्रार्थना की | तीन दिन के बाद एक पुरुष उस से मिलने आया | हनन्याह: “प्रिय शाऊल, प्रभु यीशु ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है ताकि तुम फिर से देख सको | पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाओ; जो तुम्हें तुम्हारे जीवन की यात्रा के लिये शक्ति प्रदान करेगा |” उसी समय शाऊल फिर से देख सका | लड़का: “और फिर क्या हुआ ?” जिन मसीहियों की वह हत्या करना चाहता था वे उस के सब से अच्छे मित्र बन गये | और उस ने कई दूसरे लोगों को यीशु की ओर लाया और उन्हें मार्ग बताया | लोग: वर्णनकर्ता, लड़की, लड़का, शाऊल, यीशु, हनन्याह © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |