STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
53. ईर्षा के भयानक परिणाम होते हैं १क्या तुम्हारे कोई भाई हैं ? क्या उन के साथ तुम्हारे संबन्ध ठीक हैं या कभी कभी तुम उन से झगड़ते और एक दूसरे को गाली देते हो ? यह सच है कि हम एक दूसरे के साथ सहानुभूती से रहना सीख सकते हैं | परन्तु याकुब के परिवार ने अब तक यह न सीखा था | उन की कहानी पवित्र शास्त्र में लिखी हुई है | कल्पना करो कि एक परिवार मे बारह भाई थे और उन के बीच में बहुत कुछ हो रहा था ! पहला भाई: “मैं बहुत सहन कर चुका, यूसुफ के साथ हमेशा हम से अच्छा व्यवहार किया जाता है |” दूसरा भाई: “वह चहचहाती हुई कुक्कू कुछ भी प्राप्त कर लेती है |” पहला भाई: “हम अपनी उँगलियों से क्ष्रम करते हैं और पिताजी उसे जो वह चाहता है वह दे देते हैं |” दूसरा भाई: “वह बिगड़ा हुआ पुत्र ! क्या तुम ने वह नया कोट देखा है जो उसे दिया गया है ?” पहला भाई: “पिताजी हम से अधिक उस से प्रेम करते हैं | यह ठीक नहीं है |” वे भाई ईर्ष्या करते थे | क्या तुम ने कभी उन के समान सोचा या बोला था ? हमारे दिल में ईर्ष्या होने के परिणाम बुरे होते हैं | वह जंगली पौधों के समान होते हैं जो केवल बुरा चरित्र, ईर्ष्या, घ्रणा और झगड़ा उत्पन्न करते हैं | मैं अपने विषय में यह जानता हूँ कि सब से अच्छा यह है कि तुरन्त यीशु से उस के विषय में बात की जाये और आप से बिन्ती की जाये कि आप मेरे दिल से घ्रणा निकाल दें | यूसुफ के भाईयों ने जो अच्छा काम था वह न किया : यानी क्षमा माँगना | इस लिये उन की घ्रणा बढ़ती ही गई | वे यूसुफ से घ्रणा करते थे और ऐसे समझते थे जैसे वह अद्श्य व्यक्ति हो | अपने ही परिवार में अपने आप को अजनबी के समान महसूस करके यूसुफ को बुरा लगता था और इस के अतिरिक्त उस का ठठ्ठा उडाना भी उसे बुरा लगता था | परन्तु उस ने उन के दुराचार का बदला न लिया | परमेश्वर ने उसे यह सब सहन करने के लिये शक्ती दी थी | परमेश्वर ने यूसुफ से स्वप्न में बात की | दूसरे दिन सुबह उस ने इस विषय में अपने भाईयों को बताया | यूसुफ: “मैं ने स्वप्न में देखा कि हम अनाज की फसल काट रहे हैं और पूले इकठ्ठे कर रहे हैं | अचानक मेरा पूला बीच में खड़ा हो गया और तुम्हारे पूले मेरे पूले के सामने झुक गये |” पहला भाई: “इस का क्या अर्थ हुआ ? क्या तू हमारा राजा बनना चाहता है ?” यूसुफ: “इस के बाद मैं ने स्वप्न में देखा कि सूरज, चाँद और ग्यारह तारे मेरे सामने झुक गये |” दूसरा भाई: “ऐ स्वप्न देखने वाले، चुप हो जा | तू अपने विषय में बहुत अधिक सोचता है |” परमेश्वर ने यूसुफ को जो कुछ स्वप्न में बताया उसे यदि वह उन को न बताता तो अच्छा होता था | क्योंकि उस के बाद उस के भाई उस से और अधिक घ्रणा करने लगे | वह यह भी चाहते थे कि वह अब और न जिये | क्या तुम देख सकते हो कि घ्रणा का परिणाम क्या हो सकता है ? यूसुफ के पिता ने भी उसे ड़ाँटा परन्तु वह उन स्वप्नों को भूल न सका | इन सब घटनाओं का क्या अर्थ हुआ ? अगले ड्रामे में तुम और बातें सुनोगे | लोग: वर्णनकर्ता, यूसुफ, दो भाई © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |