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Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 030 (Meeting Jesus)

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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
च्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक

30. यीशु से भेंट


क्या तुम ने कभी चाहा था कि २००० साल पहले जिये होते और तब यीशु से मिले होते ? और यह कि तुम ने आप को देखा होता और आप का वचन सुना होता ?

सीमा, तुम्हारे साथ यह कैसे हुआ | तुम यीशु से कब मिलीं ?

सीमा: “बच्चों के कार्यक्रम में जिसे मेरी माँ घर में सिखाती हैं | हम यह बातें कर रहे थे कि मनुष्य केवल यीशु ही के द्वारा स्वर्ग में कैसे जा सकता है और यह कि आप हमारे सभी पापों की क्षमा कर सकते हैं क्योंकि आप ने हमारे लिये अपने प्राण दिये | और मैं ने स्वय : अपने लिये यह सोचा कि अगर कोई व्यक्ति जिस ने कभी पाप नहीं किया हो, दूसरे के लिये आश्चर्यजनक काम कर सकता है, तब तो उसे हम से भी बहुत प्रेम करना चाहिये | इस लिये मैं ने आप को मेरे दिल में आने का नेवता देने का निर्णय लिया |”

तुम ने यह कैसे किया ?

सरीता: “जब मैं ने प्रार्थना की |”

ऊस के बाद क्या हुआ ?

सरीता: “उस के बाद, मैं ने आप को वह सब बताया जो मुझे निराश करता था, और यह कि मैं आप की अच्छी सहायता के लिये धन्यवाद करुँगी | आप ने मुझे नई व्यक्ति बना दिया, और मैं जानती हूँ कि मेरे पास हमेशा कोई होगा जिस पर मैं विश्वास कर सकुंगी और जो कभी मुझे निराश न करेगा |”

सीमा, तुम भी यीशु से मिल चुकी हो ? हमें बताओ कि इस की शुरुआत कैसे हुई |

सीमा: “उस गीत के साथ जो मुझे बहुत पसंद है (पृष्ठ भूमि में कोई लोक प्रिय संगीत बजाओ) :

'कोई अति धनवान नहीं, न ही कोई अति गरीब है, न ही कोई बहुत बड़ा है और न अति छोटा है |

कोई अति साधारण है, और न कोई कोमल; उस का प्रेम हम सब के लिये है |

परमेश्वर हर व्यक्ति के लिये दरवाजा खोल देता है - हर उस व्यक्ति के लिये जो उसे ढूँडता है |

वह अपराध ले लेता है औरउस के बदले प्रेम देता है, क्योंकि वह अपने वचन का पालन करता है |'

जब मैं वह गीत गा रही थी,तब मैं ने जान लिया कि यह मेरे विषय में सत्य है | उस शाम को मैं ने आपनी माँ से इस विषय में बात की, और मैं ने उन के साथ प्रार्थना की | इस तरह से मैं यीशु से मिली | मैं ने आप को मेरे जीवन में आने की बिन्ती की | और मैं ने अनुभव किया कि उसी समय एक बड़ा बोझ मेरे कन्धों पर से गिर गया - मुझे ऐसे लगा जैसे में मुक्त होगी ! यीशु से मिलने के सम्बंध में किसी को किसी तरह का संकोच न होना चाहिये - वह उत्तम है |”

यीशु चाहते हैं कि तुम आप को जानो क्योंकि आप तुम से प्रेम करते हैं !

आप ने कहा : “जो कोई मेरे पास आएगा उसे मैं कभी न निकालूँगा |” (यूहन्ना ६:३७)

तुम भी वही क्यों नहीं करते जो सीमा ने किया - अपने पाप आप के सामने स्विकार करो और जैसे सरीता ने किया, आप से बिन्ती करो कि आप तुम्हारे जीवन में आयें | यीशु प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं | तुम परमेश्वर की सन्तान बन जाओगे |


लोग: वर्णन कर्ता, सीमा, सरीता

© कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी

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Page last modified on July 23, 2018, at 02:16 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)