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101. अच्छी तरह से छिपाया गया है १
प्रकाश खुशी से बच्चों के मिलने के समय पर वहाँ चला गया | जब उस ने कहा कि मुझे बच्चा हुआ है तब हम अपनी हँसी रोक न सके |
बहुत साल पहले मिस्र में मरियम को अपना भाई पा कर बहुत आनन्द हुआ | वह बहुत प्यारा था | परन्तु मरियम किसी को भी उस के बारे में बता न सकी | उस की माँ को फ़िरौन के भयानक आदेश के कारण उसे छिपाना पड़ा |
फ़िरौन: “ईस्राएलियों की जन संख्या बढ़ती ही जा रही है | मुझे डर है कि वे हमारे शत्रु न बन जायें | मैं अपने लोगों को यह आदेश देता हूँ कि जहाँ कहीं ईस्राएली स्त्री लड़का जनती है, उसे तुम तुरन्त नील नदी में फ़ेंक दो |”
यह हत्या करने का भयंकर आदेश था ! क्या इतना काफी न था कि फ़िरौन ने ईस्राएलियों को जबरदस्ती दास बना लिया था ?
परन्तु इस छोटे बच्चे के माता पिता परमेश्वर पर विश्वास रखते थे और उन्होंने तीन महीनों तक अपने पुत्र को छिपा कर रखा | और परमेश्वर के अन देखे हाथ ने इस बच्चे की रक्षा की | परन्तु जैसे जैसे वह बड़ा होता गया, वे उसे और अधिक समय तक छिपा न सके |
मरियम: “मामा, आप सिरकंडों से क्या कर रही हो ?”
माँ: “मैं एक टोकरी बना रही हूँ | इस तरह, और अब इस का ढक्कन बनाने जा रही हूँ | क्या तुम, मुझे कृपया डामर का डिब्बा दे सकोगी ?”
मरियम: “तुम्हें उस की आव्यशकता क्यों है ?”
माँ: “ताकि इस टोकरी में पानी न आ जाये | मरियम, हमें अपना बहुमूल्य खजाना देना है |”
मरियम: “तुम उस के साथ क्या करने जा रही हो ?”
माँ: “मैं उसे टोकरी में रख कर उसे नील नदी के किनारे की ऊंची घास में रखूंगी |”
मरियम: “और तब क्या होगा ?”
माँ: “तब हमें प्रतिक्षा करनी होगी और यह देखना होगा कि परमेश्वर का अन देखा हाथ उस की रक्षा कैसे करता है |”
ख़ामोशी के साथ वे नदी की ओर चली गईं | माँ के लिये यह आसान न था परन्तु उस ने ऐसा किया क्योंकी वह परमेश्वर पर विश्वास करती थी |
माँ: “मरियम, तुम ऊंची घास में छिप जाओ और देखती रहो कि क्या होता है | मुझे यहाँ कोई न देखने पाये इस लिये मैं घर जाती हूँ |”
और तब कोई तो भी आ गया | फ़िरौन की बेटी अपनी सेविकाओं के साथ नील नदी में स्नान करने गई |
राजकुमारी: “वह क्या है ? उस सुंदर टोकरी को मेरे पास ले आओ |”
मरियम का दिल जोर से धड़कने लगा | क्या राजकुमारी उस के भाई को नील नदी में फ़ेंक देगी ?
(बालक के रोने की आवाज)
राजकुमारी: “यह ईस्राएली बालक है | मुझे उस के लिये बहुत दुख : हो रहा है |”
मरियम जो छिपी हुई थी, निकल कर बाहर आ गई |
मरियम: “क्या मैं कोई माँ ढूंड निकालूं जो इस बालक को तुम्हारे लिये दूध पिलाये ?”
राजकुमारी: “यह अच्छा विचार है | तुम ऐसा करो |”
तुम कल्पना कर सकते हो कि मरियम ने कौन सी माँ ढूंड निकली होगी | बालक की अपनी माँ को उस का बालक वापस मिल गया और कुछ सालों तक उसे उस का पालन पोषण करने की अनुमति दी गई | उन्हों ने दिल से परमेश्वर का धन्यवाद किया, क्योंकी उस के अन देखे हाथ ने आश्चर्यजनक रूप से उन की रक्षा की | यह सच है कि परमेश्वर ने अक्सर तुम्हारी रक्षा की है, है ना ? अब जरा समय निकाल कर तुम्हारी रक्षा करने के लिये उसे धन्यवाद कहो |
लोग: वर्णनकर्ता, फ़िरौन, मरियम, माँ, राजकुमारी
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