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85. जलती हुई भट्टी का आश्चर्यकर्म ३
उस बड़ी मूर्ती का अंत हो गया | वह नौ फुट चौड़ी और सौ फुट ऊंची थी | हर व्यक्ति उसे देख पाता था !
राजा का संदेशवाहक: “सुनो ! राजा का यह आदेश सब के लिये है | जब तुम संगीत बजता हुआ सुनो तब तुम्हें नीचे गिर कर उस सुनहरी प्रतिमा की आराधना करनी होगी जिसे नबूकदनेस्सर राजा ने खड़ा किया है | परन्तु जो कोई नीचे गिर कर उस की आराधना नहीं करेगा उसे जलती हुई आग की भट्टी के बीच में फ़ेंक दिया जायेगा |”
कोई प्रश्न न पूछा जाये | प्रत्येक व्यक्ति समर्पण के लिये आ जाये | तीन पुरुष, चुप चाप बाजू में खड़े हो गये | इस नेवता से वे उत्सुक नहीं हुए | कई साल पहले, उन्हें पकड़ कर ईस्राएल में उन के घर से ले जाया गया था | उन्हों ने अपना घर खो दिया था परन्तु परमेश्वर में अपना विश्वास नहीं खोया था |
और वे जानते थे कि राजा का आदेश मर्यादा से बाहर निकल गया है | मूर्ती की आराधना - कभी नहीं !
(संगीत की आवाज) हर एक ने झुक कर मूर्ती की आराधना की | केवल इन तीन मित्रों के सिवा | इस से ध्यान आकर्शित हुआ |
आरोप कर्ता: “ऐ राजा, आप ने आदेश दिया कि हर कोई सोने की मूर्ती की आराधना करे परन्तु तीन यहूदी आप की आज्ञा का पालन नहीं कर रहे |”
राजा: “क्या ? वे मेरी आज्ञा का पालन नहीं कर रहे ? उन्हें तुरन्त मेरे पास ले आओ |”
(दानिय्येल के मित्र राजा के पास लाये गये)
राजा: “क्या यह सच है कि तुम सुनहरी मूर्ती की आराधना नहीं करोगे ? मैं तुम्हें एक और अवसर दुंगा | यदि तुम ने फिर भी मना किया तो तुम्हें तुरन्त जलती हुई आग की भट्टी में फ़ेंक दिया जायेगा | तब एक क्षण के लिये भी न सोचना कि तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें बचा सकेगा |”
ऐसी घड़ी में तुम्हारे लिये अधिक महत्वपूर्ण क्या होगा ? तुम्हारा जीवन या परमेश्वर का आज्ञाकार रहना ? उन तीन मित्रों को अधिक समय तक अपने उत्तर के लिये सोचना न पड़ा |
दानिय्येल के मित्र: “यदि हमारा परमेश्वर चाहे तो वह निश्चय हमें जलती हुई भट्टी से बचा सकेगा | परन्तु यदि उस ने ऐसा न भी किया, तो भी हम उस के आज्ञाकारी रहेंगे | हम किसी मूर्ती के आगे नहीं झुकेंगे |”
यह लोग किसी और वस्तु से अधिक, परमेश्वर से प्रेम रखते थे | नबूकदनेस्सर क्रोधित हुआ |
राजा: “भट्टी को सात गुना अधिक गरम करो और उन्हें आग में फ़ेंक दो |”
तब उन्हें आग की भट्टी में फ़ेंक दिया गया | वह इतनी गरम थी कि जिन फौजीयों ने उन्हें उस में फेंका था वे गर्मी से झुलस कर मर गये |
राजा ने आग में घूर कर देखा |
राजा: “मैं चार मनुष्यों को आग में चलते हुए देख रहा हूँ | उन में से एक का रूप परमेश्वर के समान है |”
राजा ने भट्टी का द्वार खोल दिया |
राजा: “बाहर आ जाओ, तुम जो सर्व शक्तिमान परमेश्वर के सेवक हो !”
जले बिना वे लोग बाहेर आ गये | उन का एक बाल भी झुलस न गया था, न ही उन के कपड़ों से आग की गंध आ रही थी | परमेश्वर ने निसंदेह उन्हें आग से बचाया था |
क्या तुम इस परमेश्वर को जानते हो जो ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है ? उस के आज्ञाकार रहो, हमेशा और हर जगह |
लोग: वर्णनकर्ता, राजा का संदेशवाहक, आरोप कर्ता, राजा, दानिय्येल के मित्र
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