STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
13. यीशु के लिये उपहारसुशील अपने दादा को शिशु के पालने की कठपुतली बनाते हुए देख रहा था | वह बिलकुल असली दिखाई दे रहे थे - चरवाहे, यूसुफ और मरियम और शिशु यीशु | जैसे जैसे समय बीतता गया वह थक गया और सो गया | उस ने स्वप्न में बैतलहम का अस्तबल देखा | सुशील ने सोचा, मैं सच मुच चरनी के निकट पहुँच सकता हूँ | वह निकट आया और अचानक उदास हो गया | तब यीशु ने उस से बात की | यीशु: “तू इतना दु:खी क्यों है ?” सुशील: “क्योंकि मैं ने आप के लिये कोई उपहार नहीं लाये |” यीशु: “दु:खी मत हो | मुझे तुझ से केवल तीन वस्तु चाहिये |” सुशील: “मेरे पास जोकुछ भी है वह सब मैं आप को दे दुँगा | मेरी इलेक्ट्रिक ट्रेन, मेरे कम्पुटर के खेल और …” यीशु: “नहीं, मुझे तुझ से यह सब नहीं चाहिये; मैं इस के लिये आस्मान से धर्ती पर नहीं आया |” सुशील: “फिर आप क्या चाहते हैं ?” यीशु: “मुझे अपनी गणित की अंतिम परिक्षा का पर्तिनाम दे दे |” सुशील: “परन्तु मुझे उस में “डी” पद मिला |” यीशु: “इसी कारण वह मुझे चाहिये | मेरे लिये हमेशा तुम्हारे जीवन की हर वह वस्तु लाओ जो तुम्हारे लिये अपर्याप्त है | क्या तुम ऐसा करोगे ?” सुशील: “जी हाँ, मैं ऐसा ही करूँगा |” यीशु: “दूसरा उपहार जो मुझे चाहिये वह तुम्हारा अनाज का कटोरा है |” सुशील: “वह मैं आप को नहीं दे सकता क्योंकि मैं ने उसे तोड़ डाला है |” यीशु: “इसी कारण वह मुझे चाहिये | मेरे लिये तुम्हारे जीवन की हर वह वस्तु लाओ जो टूटी हुई है | क्या तुम ऐसेकरोगे ?” सुशील: “जी हाँ, मैं ऐसा ही करूँगा |” यीशु: “अब मेरी तीसरी इच्छा यह है | सुशील, मैं तुम्हारा वह उत्तर चाहता हूँ जो तुम ने अपनी माँ को दिया जब उन्हों ने तुम से पूछा कि तुम्हारा अनाज का कटोरा कैसे टूटा |” तब सुशील रोने लगा और उस का दिल टूट गया | सुशील: “मैं ... मैं ने उन से झूट बोला |” यीशु: “सुशील, तुम्हारे झूट, अवज्ञा, तुम्हारे जीवन की प्रत्येक दुष्ट वस्तु, तुम मेरे पास ला सकते हो - अपने पूरे जीवन भर | मैं तुम्हें क्षमा करूँगा और सीधे तरीके से जीने में सहायता करूँगा | मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हें जीवन का मार्ग बताऊंगा | क्या तुम्हें यह चाहिये ?” और सुशील को इस की कितनी आवयश्कता थी ! तब से उस ने यीशु पर विश्वास किया और आप की बातें सुनीं | लोग: वर्णन कर्ता, सुशील, यीशु की आवाज © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |