STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
160. यीशु यह क्यों होने देते हैं १तीन भाई बहन अलग नहीं किये जा सकते थे | क्या तुम उन्हें जानते हो ? मार्था जो योजनाओं से परिपूर्ण रहती थी और हमेशा कुछ न कुछ करती रहती थी | मरियम शांत स्वभाव रखती थी और लज्जाशील थी | लाज़र उन का विश्वसनीय भाई था | यह तीनों यीशु से प्रेम रखते थे | जब आप अपने चेलों के साथ बैतनिय्याह आते थे तो उन से मिलते थे | उन के छोटे से घर में हमेशा प्रसन्न वातावरण रहता था यानी उस समय तक जब लाज़र अचानक बहुत बीमार हो गया | चिन्ता में डूबी हुई मरियम उस की खाट के पास बैठ गई | बीमार भाई के मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था | उस ने अपनी आँखें बंद कर लीं | मार्था दरवाजे में आई और जब उस ने अपने भाई का फीका पड़ा हुआ चहरा देखा तो उसे सदमा पहुँचा | मार्था: “मरियम, यह स्थिति जारी नहीं रखी जा सकती | यीशु एक मात्र व्यक्ति हैं जो सहायता कर सकते हैं | मैं तुरन्त आप को संदेश भेजती हूँ |” संदेश वाहक ने यीशु को जब यरदन नदी पर पाया तब वह हाँप रहा था | संदेश वाहक: “यीशु, जल्दी चलिये ! मरियम और मार्था ने मुझे भेजा है | लाज़र बहुत बीमार है | जल्दी आईये वर्ना वह मर जायेगा !” यीशु इन तीनों भाई बहनों से प्रेम रखते थे | परन्तु आप तुरन्त उन के पास नहीं गये | आप अपने चेलों के साथ वहीं रहे जहाँ थे | आप ने कुछ दिन बीतने दिये | यीशु: “चलो, अब हम जायेंगे | लाज़र सो रहा है | मैं उसे जगाने जा रहा हूँ |” चेला: “यदि वह सो रहा है तब तो वह जल्दी अच्छा हो जायेगा |” यीशु: “मैं ने शब्द ‘सोना’ का किसी और अर्थ में प्रयोग किया था | लाज़र मर गया है |” चेला: “मर गया है ?” यीशु: “मुझे आनन्द है कि मैं वहाँ नहीं था | इसी कारण तुम मुझ पर विश्वास करना सीखोगे |” चेले कुछ भी समझ न पाये कि क्या हो रहा है | लाज़र मर गया है और यीशु प्रसन्न हैं | इस परिस्थिति में वे आप पर विश्वास करना कैसे सीखेंगे ? क्या यीशु का यह अर्थ था कि यदि कुछ भयानक घटना हो जाये तब भी कोई आप पर विश्वास कर सकता है, यदि कोई कुछ समझ भी न पाये ? लाज़र को गाड़ दिया गया था | मरियम और मार्था बहुत रोईं | कई शोक करने वाले भी आये थे | वे दोनों बहनों को सहानुभूती बताना चाहते थे | अब मैं तुम्हें एक छोटा सा काम देना चाहुंगा | इस प्रश्न के उत्तर के विषय में सोचो : यदि यीशु तुम्हारी प्रार्थना का तुरन्त उत्तर न दें और तुम्हारी सहायता न करें तो तुम क्या करोगे ? यदि आप तुम्हारे साथ कोई सब से बुरी बात होने दें तो तुम क्या करोगे ? क्या तुम विश्वास करोगे कि इस के बावजूद आप तुम से प्रेम रखते थे ? कृपया इस पर विचार करो ! और याद रखो - अगले ड्रामे में कहानी जारी रहेगी | लोग: वर्णनकर्ता, मार्था, संदेश वाहक, यीशु, चेला © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |