STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
159. जो कोई गढा खोदता है ४उस भयानक व्यक्ति, हामान की साँस लग भाग रुक गई थी | उस ने यह सोचा भी न था | जहाँ उस ने मोर्दकै को फारिस में बसे हुए सब यहूदियों के साथ फांसी पर लटकाया होता वहाँ अब उसे उस का आदर करना था | परन्तु उस ने उस जीवित परमेश्वर के हस्तक्षेप करने पर विचार नहीं किया जो अपने लोगों से प्रेम रखता है और उन की रक्षा करता है | काश हामान जानता कि क्या होने वाला है | परन्तु उसे राजा के साथ दोबारा रात के भोजन के लिये बुलाए जाने पर बहुत अभिमान था | एस्तेर रानी अपने महमानों के स्वागत के लिये तैयार थी | राज महल में किसी को जानकारी नहीं थी कि एस्तेर, मोर्दकै की सौतेली बेटी है | और उस शाम को क्षयर्ष राजा उस की हर इच्छा पूरी करना चाहता था | राजा: “एस्तेर रानी, तुम्हारी कोई इच्छा है ? मैं तुम्हें अपना आधा राज्य भी दूँगा |” एस्तेर: “मेरे राजा : मुझे और मेरे लोगों अर्थात यहूदियों को हमारे प्राण दीजिये | कोई व्यक्ति हमें मार डालना और नष्ट करना चाहता है |” राजा: (परेशान हो कर) “वह कौन है ? यह मनुष्य कहाँ है ?” एस्तेर: “यह हामान हमारा सब से बुरा शत्रु है |” राजा क्रोध से भर गया और हामान ने अपने प्राण बचाने के लिये बिन्ती की परन्तु कुछ लाभ न हुआ | सेवकों ने उस की आँखों पर परदा डाला और उसे ले गये | हामान उसी फांसी के तख्ते पर मर गया जो उस ने मोर्दकै के लिये खड़ा किया था | लड़की: “ठीक है; जो व्यक्ति किसी और के लिये गड्डा खोदता है वह स्वय : उस में गिर जायेगा |” हामान पहला व्यक्ति न था जो यहूदियों का नाश करना चाहता था | और वह आखिरी भी न होगा | परन्तु परमेश्वर अपने लोगों को बचाता है | उस ने बुरी योजना असफल कर दी | कयोंकि परमेश्वर की योजना थी कि हमारे उद्धार कर्ता, यीशु, यहूदी के समान जन्म लेते | और परमेश्वर की इच्छा पूरी हो जाती है | राजा क्षयर्ष भी उस के हाथ में था | राजा: “राजा का आदेश : मेरे राज्य में बसे हुए हर यहूदी को यह अधिकार है की वह अपनी रक्षा करे |” राजा के संदेश वाहकों ने सब से तेज गति से दौड़ने वाले घोडों पर सवार होकर यह नया आदेश देश के सभी प्रान्तों में पहुँचाया | हामान ने, जो यहुदियों का सब से बुरा शत्रु था, १३ दिसम्बर को सब याहूदियों के लिये मृत्यु का दिन ठहराया था, परन्तु वह खुशी का दिन बन गया कयोंकि यहूदियों ने अपने शत्रुओं को पराजीत किया | उन्हों ने अपनी विजय १४ को मनाया | यहूदियों ने एक दुसरे को उपहार दिये और अपना खाना गरीबों में बांटा | दु:ख में से खुशी निकल आई | परमेश्वर ने अपने लोगों, अर्थात ईस्राएल को चुना और बचाया | उस का शब्द हमेशा अन्तिम होता है | लोग: वर्णनकर्ता, राजा, एस्तेर, लड़की © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |