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114. एक स्वर्ग दूत आया
मार्क गलीचे पर पड़ा हुआ था | एक उत्तेजित पुस्तक में उसे दिलचस्पी थी | (दरवाजे पर की घंटी बजने की आवाज)
मार्क: “इस समय दरवाजे पर कौन हो सकता है ?” (दरवाजा खुलने की आवाज)
मार्क: “अलेक्स, तुम हो ? तुम कहाँ से आ रहे हो ?”
अचानक आने का आश्चर्य यशस्वी हुआ | मार्क कुछ बोल न सका | उस का गहरा मित्र दो साल पहले चला गया था और उन्हों ने इस समय में एक दूसरे को देखा न था |
ईस्राएल में एक नौजवान लड़की के घर एक ऐसा ही मेहमान आया जिस के आने की अपेक्षा न थी |
मिलने का कोई समय निश्चित नहीं किया गया था | अचानक वह उस के सामने आ कर खड़ा हो गया: वह एक स्वर्गदूत था !
परमेश्वर ऐसा ही करता है | जब कोई उस के आने की अपेक्षा नहीं करता है तब वह अचानक आ जाता है |
मरियम चकित हो गई |
स्वर्ग दूत: “मरियम, डरो नहीं ! परमेश्वर तुम से प्रेम करता है |”
परमेश्वर आ कर हम से बात चीत करता है | और वह आज भी ऐसा ही करता है | वह हम से अपने वचन, अर्थात पवित्र शास्त्र के द्वारा बात करता है | कभी कभी वह आश्चर्यकर्मों या दूसरे लोगों के द्वारा भी बात करता है | जब कोई पवित्र शास्त्र न था तब वह अक्सर स्वप्नों में आ कर बात करता था या स्वर्गदूतों को लोगों के पास भेजता था |
स्वर्गदूत: “मरियम, परमेश्वर तुम्हारे साथ है | तुम एक पुत्र को जन्म दोगी, उस का नाम यीशु रखना |”
मरियम: “यह कैसे शक्य है ? मेरा विवाह नहीं हुआ है और मेरा पती भी नहीं है |”
स्वर्गदूत: “परमेश्वर तुम में एक आश्चर्यकर्म करेगा | पवित्र आत्मा तुम्हारे पास आयेगा और तुम पर छा जायेगा | इसी कारण तुम्हारा पुत्र, परमेश्वर का पुत्र कहलायेगा |”
मरियम: “मैं परमेश्वर की सेविका बनुंगी | तुम्हारे कहने के अनुसार मेरे साथ हो |”
यह आश्चर्यकर्म हुआ | परमेश्वर के पुत्र ने बेतलहम में एक गौशाला में जन्म लिया | परमेश्वर, यीशु में हो कर हमारी दुनिया में आया |
परमेश्वर हमारे पास आया ताकि हम उस के पास आ सकें |
मैं ने कई बार क्रिस्मस मनाया है परन्तु यह आश्चर्यकर्म मुझे विस्मित करता रहा है | महान परमेश्वर मनुष्य बना और हमारे पास आया | यीशु के द्वारा परमेश्वर हमारे निकट आया, इतना निकट आया कि लोग उसे देख सके और छू सके | इसी आश्चर्यकर्म के कारण उन दिनों में चरवाहे आनन्दित हुए | परमेश्वर हमारे पास आता है और यीशु में वह तुम्हारे पास भी आ सकता है |
क्या तुम उसे अपने जीवन में आने का नेवता देना चाहोगे ? तुम प्रार्थना के द्वारे ऐसा कर सकते हो, केवल इस प्रकार :
मार्क: “प्रभु यीशु, कृपया मेरे जीवन में आईये | मैं अपने दिल का दरवाजा आप के लिये खोलता हूँ | मैं हमेशा के लिये आप का होना चाहता हूँ | मेरे लिये आप के महान प्रेम के लिये धन्यवाद |”
परमेश्वर तुम्हारे पास आता है ताकि तुम उस के पास आ सको |
लोग: वर्णनकर्ता, मार्क, स्वर्गदूत, मरियम
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