Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 032 (Does God hear each prayer)
32. क्या परमेश्वर हर प्रार्थना का उत्तर देता है
तुम्हारा कोई प्रिय रंग है ? मीना का प्रिय रंग नीला था | उसे नीला आस्मान, नीला समुद्र पसंद था और उसकी अत्यन्त प्रिय नीली वस्तु उस की माँ की नीली आँखें थीं | मीना ने सोचा कि यह बहुत बुरा हुआ जो उस की आँखें भूरी हैं |
मीना: “माँ, क्या परमेश्वर मेरी पूर्ण प्रार्थना सुनता है ?”
माँ: “हाँ, प्यारी, परमेश्वर सब प्रार्थनायें सुनता है |”
मीना: “बच्चों की भी प्रार्थनायें ?”
माँ: “हाँ, मीना | परन्तु अब सोने का समय हो गया है | गुड नाईट ! सो जाओ !”
मीना: “गुड नाईट, माँ !”
बत्ती बुझाने के बाद, मीना ने अपने बिस्तर पर प्रार्थना की :
मीना: “प्रिय परमेश्वर, तू सब कुछ कर सकता है | कृपया मेरी भूरी आँखों को नीला बना दे | आमीन |”
परमेश्वर ने मीना की प्रार्थना सुनी, उसे उस का पुरा विश्वास था | तब वह सो गई |
दूसरे दिन सुबह मीना उठ गई और उस ने आपनी प्रार्थना के विषय में सोचा | वह बिस्तर पर से कूद पडी, आईने के पास दौड़ते हुए गई, जिस में से दो बड़ी भूरी आँखे उस की ओर देख रही थीं | निराश हो कर मीना ने सोचा कि शायद परमेश्वर ने उस की प्रार्थना नहीं सुनी |
तब ऐसे लगा जैसे किसी ने उस से कहा, “नहीं, भी उत्तर होता है |”
कई साल बीत गये | जब मीना बड़ी हो गई तब वह एक मिशनरी बन कर भारत गई | वहाँ ऊस ने वहाँ की भाषा सीखी, उस ने वही भोजन खाया जो वे खाते थे, पोशाक भी वैसे ही पहना और एक परदेसी समान दिखाई न दे इस लिये उस ने आपनी चमड़ी को भूरा रंग लगाया |
एक दिन किसी मित्र ने मीना को कहा :
मित्र: “मीना, कितना अच्छा है कि तुम्हारी आँखें भूरी हैं न कि नीली, नहीं तो हर कोई कहता कि तुम परदेसी हो |”
भूरी आँखें ? मीना ने अपने बचपन की प्रार्थना के विषय में सोचा | “नहीं, भी उत्तर होता है |” परमेश्वर की ओर से एक अच्छा उत्तर |
कभी तो परमेश्वर हमें जिस वस्तु की आव्यशकता होती है उसे तुरन्त देता है |
कभी तो वह हमें प्रतिक्षा करते हुए रखता है |
और कभी नहीं कह देता है |
जो भी उत्तर हो - हाँ, नहीं या प्रतिक्षा करो - वह हमें अपना प्रेम दिखता है | ऊस का उत्तर हमारे लिये हमेशा सब से अच्छा होता है |
वह तुम्हारे लिये भी बिलकुल ठीक काम करता है |
लोग: वर्णन कर्ता, मीना (बच्ची के समान), मीना की माँ, मित्र
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