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149. इनाम के लिये यह कठिन है १
धुलाई के कपड़ों की टोकरी भारी थी | इनाम उसे नदी तक उठा कर ले गई | वहाँ उस ने गन्दे कपड़े निकाले, उन्हें पानी में डुबाया और बडे पत्थर पर रगडा |
यह कठिन काम था कयोंकि जंगल में कपड़े धोने की मशीन नहीं थी |
इनाम के भूरे चहरे पर आँसू टपकने लगे | उसे फिर से बुरी तरह से पीटा गया था | इनाम ने खेतों की ओर देखा और उस समय के विषय में सोचा जब चावल के पौदे छोटे थे |
(इस याद की प्रक्रिया में पृष्ठ भूमि में संगीत की आवाज)
इनाम: “तब कुछ परदेसी इंडोनेशिया आ गये और जंगल के निकट ही एक गिरजा बाँधा | वहाँ कोई भी आ सकता था | मैं ने दरार में से झांक कर देखा और जो मधुर गीत गाये जा रहे थे उन्हें सूना | फिर मैं अन्दर चली गई और यीशु के विषय में वह उत्तेजित कहानियाँ और आप ने क्रूस पर हमारे लिये अपने प्राण कैसे दिये वह सुना |
मैं ने निर्णय लिया कि मैं आप की अनुयाई बनुंगी और अपना जीवन आप को अर्पण कर दुंगी | जब मैं ने अपने मातापिता को बताया कि मैं ने आप से प्रार्थना की तो वे मुझ पर क्रोधित हुए और मुझे पीटा |”
(संगीत धीमा हो जाता है)
इनाम रोई, इस लिये नहीं कि उसे पीटा गया था बल्कि वह अपने माता पिता के कारण रोई थी |
इनाम: “प्रभु यीशु, मेरी इच्छा है कि मेरे माता पिता भी आप पर विश्वास करें और आप के लिये जियें और एक दिन स्वर्ग में चले जायें | कृपया उन्हें खोने न दीजिये |”
इनाम ने धोने की टोकरी उठाई और उसे वापस घर ले गई |
माँ: (क्रोध में) “तुम इतनी धीमी क्यों हो ? अपना काम करो, जल्दी करो ! चावल पकाओ !”
खाने के बाद इनाम लेट गई |
परन्तु जब सब शान्त हो गया तब वह खिडकी में से चढ़ कर बाहर निकल गई और जंगल की ऊँची घास में से दौड़ती हुई उस छोटे गिरजे में गई |
(पृष्ठ भूमि में संगीत)
वह आराधना का समय चुकाना न चाहती थी | जो गीत और पवित्र शास्त्र के वचन उस ने वहाँ सीखे उन से उसे नया साहस
मिला | परन्तु घर पर उस के माता पिता लाठी ले कर उस की प्रतिक्षा कर रहे थे |
जब से इनाम ने यीशु के लिये जीने का निर्णय लिया तब से वह कठिनाई में पड गई थी |
उसे अक्सर पीटा जाता था परन्तु तब भी वह यीशु पर विश्वास रखती थी |
जब वह बीमार हो गई तब उस की माँ ने जादूगर को बुलाया | उस ने पानी में कुछ मिलाया और मुँह ही मुँह में कुछ बुदबुदाया | इनाम ने सोचा कि वह क्या करेगी ताकि उसे वह पानी पीना न पड़े | जादूगर ने प्याला उसे दिया और उसी समय माँ ने आवाज दी |
माँ: “मुझे रसोई घर में जाना होगा | चावल जल रहे थे !”
जादूगर उस के पीछे चला गया और इनाम ने जल्दी से वह पानी खिडकी से बाहर फ़ेंक दिया |
क्या उन्हें इस का कभी पता चला होगा !
कहानी में आगे क्या होता है वह तुम अगले ड्रामे में सुनोगे |
लोग: वर्णनकर्ता, इनाम, माँ
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