Home -- Hindi -- Perform a PLAY -- 002 (The storm rages)
2. तूफान भड़क उठता है
अकस्मात शक्तिशाली आँधी आई (कोलाहल, आँधी ,गरजना, वर्षा) |
लहरें नौका से टकराने लगीं और उसे इधर उधर उछालने लगीं |
आँधी आक्रामक थी | मल्लाहों ने कस कर चप्पू पकड़ लिये | लोग डर गये थे क्योंकि वे जानते थे कि गलील के समुद्र में इस प्रकार की आँधी कितनी घातक हो सकती थी |
फिर एक और लहर नौका से टकराई | आँधी ने कोलाहल मचाया और समुद्र गरज रहा था |
क्या उन की रक्षा की जा सकती थी ?
नौका में सवार लोगों में कुछ मछुआरे थे | उन्हें ऐसी ॠतु का पहले से अनुभव था, परन्तु यह तूफान उन तूफानों से अधिक भयानक था जिन का उन को पहले से अनुभव था |
चेले: “सहायता कीजिये ! हम ड़ूब रहे हैं !”
जब वे अपने जीवन के लिये लड़ रहे थे, तब यीशु नौका के पिछले भाग में लेटे थे - और आप सो रहे थे !
आँधी की अत्यंत खतरनाक घड़ी में वे यीशु की ओर दौड़ पड़े और चिल्लाये :
चेले: “यीशु ! हम ड़ूब रहे हैं और आप को कोई चिन्ता नहीं है ? आप को हमारी सहायता करनी चाहिये ! हम ड़ूब रहे हैं !”
जब तुम्हारे जीवन की नौका से भय और चिन्ता की लहरें टकरा रही हों तब तुम किसे पुकारते हो ? यीशु हर वस्तु पर विजय पा लेते हैं | आप खड़े हो गये और आँधी को ड़ाँटा |
यीशु: “शान्त हो जा ! थम जा !”
तुरन्त आँधी थम गई और चैन हो गया | मानो आँधी आई ही न थी |
चेले इस आश्चर्यकर्म से अचंभित हो गये |
चेले: “यह यीशु कौन हैं ? आँधी और लहरें भी आप की आज्ञा का पालन करती हैं !”
यीशु प्रभु हैं : आप प्रकृति और रोग और दुष्ट आत्माओं पर भी विजय पाते हैं | और यीशु मृत्यु पर भी विजय पा चुके हैं |
आप के समान और कोई नहीं है, और कोई व्यक्ति वह काम नहीं कर सकता जो आप करते हैं |
और चेलों ने सोचा था कि वे, नौका और यीशु, सब के सब ड़ूब जायेंगे |
यीशु: “तुम्हारा विश्वास कहाँ है ? तुम डर क्यों गये ?”
उन्हें स्वय : अपने आप से वही प्रश्न पूछना पड़ा जिसे यीशु ने उन से पूछा था |
यीशु तुम्हारे जीवन में उभर आने वाली लहरों पर विजय पाते हैं |
आप से आव्यश्कता, चिन्ता, विद्यालय की समस्याओं, और रोग के विषय में बातचीत कीजिये |
यीशु प्रभु हैं, इस लिये डरो नहीं, बल्कि आप पर विश्वास कीजिये |
लोग: वर्णन कर्ता, चेले, यीशु
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