STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
58. परमेश्वर सब ठीक कर देता है ६क्या ही उत्साह का दिन था | यूसुफ के भाई अनाज खरीदने के लिये दोबारा मिस्र गये | वे न जानते थे कि उन का भाई उस देश में वरिष्ठ अधिकारी है जिसे उन्हों ने दास समान बीस साल पहले बेच दिया था क्योंकि वे उस से ईर्ष्या करते थे | यूसुफ ने भोजन तैयार करने का आदेश दिया | इस भोजन में बैठने का प्रबंध ठीक उसी तरह रखा गया था जैसा उन के घर में हुआ करता था | भाईयों ने यह देख कर आश्चर्य किया | अंत में जब वे अनाज से भरे हुए अपने बोरे ले कर घर के मार्ग पर निकले तो बहुत प्रसन्न थे | परन्तु अभी वे बहुत दूर न गये थे | सेवक: “रुक जाओ! ठहरो! तुम ने मेरे स्वामी का चांदी का प्याला चुराया है |” भाई: “जी नहीं, हम ने कुछ भी नहीं चुराया | तुम देख सकते हो |” सेवक ने हर वस्तु की तलाशी ली | अंत में उस ने बिनयामीन का बोरा खोला | सेवक: “यह रहा चोर | तुम में से हर एक घर वापस जा सकता है, परन्तु तुम यहाँ दास बन कर रहोगे |” उन्हें यूसुफ के सामने पेश किया गया | काँपते हुए वे सब उस के सामने झुक गये | उस ने किसी को आज्ञा दी थी कि किसी एक बोरे में प्याला रखा जाये ताकि वह अपने भाईयों को परख सके | क्या वे एक दूसरे से मिल जुल कर रहेंगे या अब भी उन के दिल बुरे हैं ? यूसुफ कड़े शब्दों में उन से बोला | यूसुफ: “तुम ने ऐसा क्यों किया ? जो चोर है वह यहाँ मेरा दास बन कर रहेगा |” तब यहूदा ने कहा : भाई: “कृपया बिनयामीन को जाने दीजिये और उस के बदले मुझे अपना दास बना लीजिये नहीं तो हमारा पिता शोक से मर जायेगा |” सब भाईयों का एक मत था | तब यूसुफ ने स्वय : अपने आप को उन पर प्रगट किया | यूसुफ: ”क्या तुम मुझे नहीं पहचानते ? मैं तुम्हारा भाई, यूसुफ हूँ |” वे खामोश हो गये और यूसुफ आनंदित हो कर रो पड़ा और उन्हें गले से लगा लिया | यूसुफ: “परमेश्वर ने मुझे मिस्र भेजा ताकि तुम जीवित रहो | जाओ और हमारे पिता और तुम्हारे परिवारों को लेकर चले आओ | काल के पाँच साल और आने वाले हैं, परन्तु मैं तुम्हारी देख भाल करूँगा |” उस ने उन्हें घर ले जाने के लिये अन्य उपहार दिये | उन के पिता ने जब सुना कि यूसुफ जीवित है तो अत्यन्त अनंदित हुआ और उस के तुरन्त बाद सत्तर लोग अपनी संपत्ति ले कर मिस्र के सब से अच्छे क्षेत्र में चले गये | इस समय अत्यन्त प्रसन्न हो कर जशन मनाया गया | बीस साल के बाद यूसुफ ने अपने पिता को दोबारा देखा | परमेश्वर ने हर बात को भलाई में बदल दिया और उन भाईयों ने अपने अपराध स्विकार किये | भाई: “यूसुफ, हम ने जो कुछ तुम्हारे साथ किया उस का हमें खेद है, कृपया हमें क्षमा कीजिये |” यूसुफ: “मैं ने तुम्हें क्षमा कर दिया | तुम बुरा चाहते थे परन्तु परमेश्वर ने उसे भलाई में बदल दिया |” परमेश्वर हर बात को भलाई में बदल देता है ! अपने लोगों को जीवित रखने के लिये यह उस का उद्देश था | लोग: वर्णनकर्ता, सेवक, यूसुफ, भाई © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |