STORIES for CHILDREN by Sister Farida(www.wol-children.net) |
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नाटक -- अन्य बच्चों के लिए अभिनीत करो !
बच्चों द्वारा अभिनय करने के लिए नाटक
41. मुखिया और यीशुअपने हाथ में गंडासा लिये मिशनरी जंगल के मार्ग से धूप में निकल पड़ा | आस्मान में सूरज तप रहा था | कैसे तो भी वह भारत के एक गाँव में पहुँचा | वहाँ के मुखिया ने उस का हार्दिक स्वागत किया | अब तक कोई गोरा आदमी इस कबीले के पास यीशु के विषय में जानकारी देने के लिये नहीं आया था | ढोल की आवाज़ ने सब भारतियों को इकट्ठा किया | मिशनरी ने अनंदित हो कर शुरुआत की | मिशनरी: “परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है ताकि तुम जान सको कि स्वर्ग में कैसे जा सकोगे |” मुखिया यह समाचार सुन कर प्रसन्न हुआ | वह खड़ा हुआ और कुछ लेने गया | मुखिया: “मुखिया आपनी कुल्हाड़ी परमेश्वर को भेंट देता है |” तब वह और बातें सुनने लगा | मिशनरी: “परमेश्वर तुम से प्रेम करता है और चाहता है कि तुम उस के पास आओ | परन्तु परमेश्वर पवित्र है और तुम्हारे पाप उस के पास जाने के मार्ग में रूकावट डालते हैं | पापी स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकते |” यह सुन कर भारती निराश हो गये, क्योंकि वह सच बोल रहा था | उन्हों ने चोरी की थी, झूट बोला था और हत्या की थी और इस के लिये वह लज्जित थे | मिशनरी: “निराश न हो | परमेश्वर तुम से प्रेम करता है | वह तुम्हारे पाप क्षमा करना चाहता है |” यह सुन कर प्रसन्न होते हुए, मुखिया खड़ा हो गया, और जा कर एक सुन्दर रंगीन गलीचा ले कर आया | मुखिया: “यह सुन कर मुखिया प्रसन्न हुआ कि परमेश्वर उस से प्रेम करता है, इस लिये वह परमेश्वर को यह गालीचा उपहार के तौर पर पेश करता है |” मिशनरी: “परमेश्वर ने स्वय : अपने पुत्र को दुनिया में भेजा ताकि वह सब लोगों के पापों की कीमत चुका सके |” परमेश्वर ने इतना सब किया है ! मुखिया फिर से गया ताकि वह एक बहुमूल्य वस्तु लाये जो उस के पास थी | मुखिया: “मुखिया अपना घोडा परमेश्वर को देता है | अब मेरे पास परमेश्वर को देने के लिये और कुछ नहीं है |” क्या सच मुच, और कुछ भी नहीं है ? उस मिशनरी ने फिर कहा | मिशनरी: “परमेश्वर के पुत्र ने आपनी इच्छा से क्रूस पर तुम्हारे पापों के लिये अपने प्राण दिये | आप तुम से प्रेम करते हैं | आप पर विश्वास करो और आप तुम्हारे पाप क्षमा करेंगे और एक दिन तुम स्वर्ग में जाओगे |” मुखिया का चहरा चमकने लगा | मुखिया: “ओह, अब मैं जनता हूँ कि मैं परमेश्वर को और क्या दे सकता हूँ | मैं अपना दिल उसे देता हूँ और विश्वास करता हूँ कि यीशु ने मेरे पापों के लिये अपने प्राण दे दिये |” और बहुत से लोगों ने भी ऐसा ही किया और प्रसन्न हो कर अपने अपने तंबुओं में चले गये | क्या तुम भी इसी तरह प्रसन्न होना चाहते हो ? तब जैसा मुखिया ने किया वैसे ही तुम भी करो और प्रभु यीशु पर विश्वास करो | लोग: वर्णन कर्ता, मिशनरी, मुखिया © कॉपीराईट: सी इ एफ जरमनी |